सिपाही भर्ती के नाम पर करोड़ों की ठगी, पांच-पांच लाख लेने के बाद दिया था फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र, क्राइम ब्रांच दफ्तर में दबी थी फाइल

इलाहाबाद : पुलिस विभाग में सिपाही (आरक्षी) पद पर भर्ती के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जालसाजों ने कई अभ्यर्थियों से नौकरी दिलाने के नाम पर पांच-पांच लाख रुपये वसूले और फिर फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र थमा दिए।
शिकायत के बाद मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने की, लेकिन फाइल दफ्तर में ही दबी रही। पुराने केस के निस्तारण के दौरान यह फाइल नए एसपी क्राइम के हाथ लगी तो उन्होंने मामले में एफआइआर दर्ज करा दी। अब फूलपुर थाने में जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर, सराय रुस्तम गांव निवासी तीरथराज यादव के बेटे गुलाब चंद्र यादव, फूलपुर देवली के प्रभाशंकर यादव, सरायममरेज हिरावनपुर निवासी रामचंद्र यादव और नीमी सरायममरेज के आजाद उर्फ रियाजुद्दीन के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने व धमकी की धाराओं में मुकदमा हुआ है। 1दरअसल, 2013 में आरक्षी पदों पर भर्ती निकली थी। इसमें हजारों युवक व युवतियां शामिल हुई थीं। फूलपुर के अमोलवा गांव निवासी लालजी सिंह की बेटी स्वाती ने भी आवेदन किया था। उसकी लिखित परीक्षा लखनऊ में हुई थी। इम्तिहान के दौरान स्वाती ने व्हाइटनर का प्रयोग किया था। ऐसे ही कई और अभ्यर्थियों को व्हाइटनर प्रयोग करने के कारण परीक्षाफल या तो रोक दिया गया अथवा फेल कर दिया गया। इस कारण उनकी भर्ती नहीं हो सकी। फरवरी 2016 में अमिलिया फूलपुर स्थित एक डिस्पेंसरी पर गुलाबचंद्र और उसके साथियों से लालजी की मुलाकात हुई। आरोप है कि इस दौरान लालजी व अन्य ने कहा कि फेल होने वालों की भर्ती करा देंगे। इसके लिए प्रत्येक अभ्यर्थी से पांच-पांच लाख रुपये की मांग की गई और लगभग सभी ने दे दिया। कुछ दिनों बाद जालसाजों ने फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र भी दे दिया, लेकिन जब वह ज्वाइनिंग करने के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंचे तो सच्चाई जान उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। शिकायत पर पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी तो पाया गया कि जालसाजों ने 27 लोगों से ठगी की है। अब शुक्रवार को लालजी व अन्य की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर फूलपुर पुलिस मामले की जांच कर रही है। 1लखनऊ से भेजा फर्जी शासनादेश1बेरोजगार युवक व युवतियों से ठगी करने वाले शातिर युवकों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नाम लखनऊ से चार बार फर्जी शासनादेश भेजा। एसएसपी दफ्तर में एक मार्च 2016 को पहला आदेश आया और उसके बाद तीन बार। फर्जी शासनादेश में बाकायदा फेल अभ्यर्थियों का नाम लिखा था और उन्हें तत्काल रिपोर्ट लगाकर नियुक्ति के लिए भी आदेशित किया गया था। एक के बाद एक शासनादेश मिलने पर पुलिस अधिकारियों को संदेह हुआ तो उन्होंने लखनऊ से जानकारी मांगी। शासन में पत्र की जांच हुई तो फर्जी पाया गया। इधर, पुलिस मुख्यालय में फर्जी नियुक्ति का पत्र भी लेकर अभ्यर्थी पहुंचे थे।

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