लखनऊ (जेएनएन)। योगी सरकार प्रदेश के 1.65 लाख शिक्षामित्रों को शिक्षक
भर्ती में उनके सेवाकाल के आधार पर 25 अंक तक का वेटेज देने जा रही है।
वहीं बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक गुणांक के अलावा लिखित
परीक्षा भी आयोजित करने का सरकार का इरादा है।
इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। वहीं परिषदीय स्कूलों में कक्षा के अनुसार बच्चों के सीखने-समझने के अपेक्षित स्तर को वैधानिक मान्यता दिलाने के मकसद से उप्र निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल सकती है।
कैबिनेट बैठक में उप्र राज्य वन नीति 2017 के प्रारूप पर भी मुहर लग सकती है। नई वन नीति के तहत कृषि वानिकी को प्रोत्साहन दिया जाएगा। किसानों की आय बढ़ाने में कृषि वानिकी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। वन विभाग इसके लिए कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किस क्षेत्र में कौन-कौन से पौधे लगाएं जाएं इसकी कार्ययोजना भी बना चुका है। दिक्कत सिर्फ इतनी है कि किसान पौध तो लगाते हैं, पर वन विभाग के कानूनों के कारण उनको काटने के लिए तमाम औपचारिकताओं से गुजरना होता है।
कटी हुई लकड़ी को ले जाने में भी ऐसे कानून बाधा पैदा करते हैं। लिहाजा किसान पौध लगाने के प्रति उदासीन रहते हैं। कैबिनेट के प्रस्ताव में ऐसे नियमों में संशोधन के साथ पौध लगाने वालों के लिए सरकार कुछ प्रोत्साहन राशि भी घोषित कर सकती है। इससे किसानों की आय के साथ हरियाली भी बढ़ेगी।
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इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। वहीं परिषदीय स्कूलों में कक्षा के अनुसार बच्चों के सीखने-समझने के अपेक्षित स्तर को वैधानिक मान्यता दिलाने के मकसद से उप्र निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल सकती है।
कैबिनेट बैठक में उप्र राज्य वन नीति 2017 के प्रारूप पर भी मुहर लग सकती है। नई वन नीति के तहत कृषि वानिकी को प्रोत्साहन दिया जाएगा। किसानों की आय बढ़ाने में कृषि वानिकी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। वन विभाग इसके लिए कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किस क्षेत्र में कौन-कौन से पौधे लगाएं जाएं इसकी कार्ययोजना भी बना चुका है। दिक्कत सिर्फ इतनी है कि किसान पौध तो लगाते हैं, पर वन विभाग के कानूनों के कारण उनको काटने के लिए तमाम औपचारिकताओं से गुजरना होता है।
कटी हुई लकड़ी को ले जाने में भी ऐसे कानून बाधा पैदा करते हैं। लिहाजा किसान पौध लगाने के प्रति उदासीन रहते हैं। कैबिनेट के प्रस्ताव में ऐसे नियमों में संशोधन के साथ पौध लगाने वालों के लिए सरकार कुछ प्रोत्साहन राशि भी घोषित कर सकती है। इससे किसानों की आय के साथ हरियाली भी बढ़ेगी।
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