लखनऊ : परिषदीय विद्यालयों में साल दर साल छात्र नामांकन में आ रही गिरावट भले ही इस साल थम गई हो लेकिन, इस मोर्चे पर बेसिक शिक्षा विभाग की सफलता का असल पैमाना छात्रों का आधार नामांकन होगा।
आधार नामांकन से ही पता चल सकेगा कि परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की असल संख्या कितनी है। तमाम मशक्कत के बावजूद अगस्त के अंत तक परिषदीय स्कूलों के महज 54 फीसद छात्रों का ही आधार नामांकन हो सका है। लिहाजा बेसिक शिक्षा परिषद अब खुद परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का आधार नामांकन करेगा। 1वर्ष 2013-14 में परिषदीय स्कूलों में जहां 1.70 करोड़ बच्चे नामांकित थे, वहीं 2016-17 में उनकी संख्या घटकर 1.52 करोड़ रह गई। यह ढर्रा चालू शैक्षिक सत्र में थमा जब परिषदीय विद्यालयों का छात्र नामांकन गिरने की बजाय बढ़कर 1.53 करोड़ हो गया। इस सुखद बदलाव के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या अरसे से सवालों के घेरे में रही है। छात्र नामांकन तो बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है लेकिन हकीकत में स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति औसतन 55 फीसद होती है। विभाग के आला अधिकारी भी मानते हैं कि स्कूलों में छात्रों की संख्या को वास्तविक से ज्यादा दिखाकर मिड-डे मील, मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग आदि के नाम पर दी जाने वाली धनराशि की बंदरबांट होती है।1 इस बंदरबांट को रोकने के लिए योगी सरकार ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ शिक्षकों के आधार नामांकन पर जोर दिया। स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के कारण आधार नामांकन करने वाले वेंडरों को विद्यालयों में जाकर आधार नामांकन करने में व्यावहारिक कठिनाई आ रही है। 1इसे देखते हुए शासन स्तर पर बेसिक शिक्षा परिषद को परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का आधार नामांकन करने के लिए स्टेट रजिस्ट्रार का दर्जा देने का फैसला किया गया है। इस सिलसिले में बेसिक शिक्षा परिषद का भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के साथ करार हो गया है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से हुआ करार
’परिषदीय विद्यालयों में पता चल सकेगी बच्चों की असल संख्या1मशीन खरीदने का आदेश जारी स्टाफ को दी गई ट्रेनिंग.
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में आधार नामांकन करने वाली दो मशीनें खरीदने के लिए आदेश दे दिए गए हैं। इन मशीनों को चलाने के लिए विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा चुका है। मशीनें खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक मशीनों की आपूर्ति हो जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जो मशीनें खरीदी हैं, उसकी प्रतिपूर्ति बच्चों के नामांकन के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से मिलने वाली धनराशि से हो जाएगी।
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आधार नामांकन से ही पता चल सकेगा कि परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की असल संख्या कितनी है। तमाम मशक्कत के बावजूद अगस्त के अंत तक परिषदीय स्कूलों के महज 54 फीसद छात्रों का ही आधार नामांकन हो सका है। लिहाजा बेसिक शिक्षा परिषद अब खुद परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का आधार नामांकन करेगा। 1वर्ष 2013-14 में परिषदीय स्कूलों में जहां 1.70 करोड़ बच्चे नामांकित थे, वहीं 2016-17 में उनकी संख्या घटकर 1.52 करोड़ रह गई। यह ढर्रा चालू शैक्षिक सत्र में थमा जब परिषदीय विद्यालयों का छात्र नामांकन गिरने की बजाय बढ़कर 1.53 करोड़ हो गया। इस सुखद बदलाव के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या अरसे से सवालों के घेरे में रही है। छात्र नामांकन तो बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है लेकिन हकीकत में स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति औसतन 55 फीसद होती है। विभाग के आला अधिकारी भी मानते हैं कि स्कूलों में छात्रों की संख्या को वास्तविक से ज्यादा दिखाकर मिड-डे मील, मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग आदि के नाम पर दी जाने वाली धनराशि की बंदरबांट होती है।1 इस बंदरबांट को रोकने के लिए योगी सरकार ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ शिक्षकों के आधार नामांकन पर जोर दिया। स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के कारण आधार नामांकन करने वाले वेंडरों को विद्यालयों में जाकर आधार नामांकन करने में व्यावहारिक कठिनाई आ रही है। 1इसे देखते हुए शासन स्तर पर बेसिक शिक्षा परिषद को परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का आधार नामांकन करने के लिए स्टेट रजिस्ट्रार का दर्जा देने का फैसला किया गया है। इस सिलसिले में बेसिक शिक्षा परिषद का भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के साथ करार हो गया है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से हुआ करार
’परिषदीय विद्यालयों में पता चल सकेगी बच्चों की असल संख्या1मशीन खरीदने का आदेश जारी स्टाफ को दी गई ट्रेनिंग.
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में आधार नामांकन करने वाली दो मशीनें खरीदने के लिए आदेश दे दिए गए हैं। इन मशीनों को चलाने के लिए विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा चुका है। मशीनें खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक मशीनों की आपूर्ति हो जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जो मशीनें खरीदी हैं, उसकी प्रतिपूर्ति बच्चों के नामांकन के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से मिलने वाली धनराशि से हो जाएगी।
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