इलाहाबाद। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद
लगातार परेशान शिक्षामित्रों के लिए एक अच्छी खबर है। हाईकोर्ट में दाखिल
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि वो
शिक्षामित्रों को उनके मूल तैनाती वाले स्थान पर क्यों नहीं भेज रही है?
याचिका पर जस्टिस सुनीत कुमार ने सुनवाई की और बेसिक शिक्षा विभाग समेत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। दरअसल शिक्षामित्रों का मानदेय ₹10,000 मासिक कर दिया गया है, लेकिन उन्हें समायोजित होने के बाद जिस स्कूल में नियुक्ति मिली थी, उसी स्कूल में अभी भी उन्हें ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि दूरदराज के इलाकों में उनकी पोस्टिंग है और ₹10,000 में उन्हें वहां जाना काफी महंगा पड़ रहा है।
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याचिका पर जस्टिस सुनीत कुमार ने सुनवाई की और बेसिक शिक्षा विभाग समेत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। दरअसल शिक्षामित्रों का मानदेय ₹10,000 मासिक कर दिया गया है, लेकिन उन्हें समायोजित होने के बाद जिस स्कूल में नियुक्ति मिली थी, उसी स्कूल में अभी भी उन्हें ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि दूरदराज के इलाकों में उनकी पोस्टिंग है और ₹10,000 में उन्हें वहां जाना काफी महंगा पड़ रहा है।
'SC के आदेश का क्यों नहीं किया पालन?'
ऐसे
में उनके लिए ड्यूटी कर पाना मुश्किल है, इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने इसे गंभीर विषय माना। हाईकोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने
समायोजन रद्द किया था और कहा था कि शिक्षा मित्रों को उनके मूल तैनाती वाले
स्थल या जहां से वे सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित थे वहां काम करने का
विकल्प दिया जाए तो आखिरकार इस आदेश का पालन सरकार ने क्यों नहीं किया?
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और लगभग शिक्षामित्रों के मूल
तैनाती स्थल पर जाने का रास्ता साफ हो गया है।
योगी सरकार पर ठोकेगी हर्जाना!
सरकार
के जवाब पर संतुष्ट ना होने की दशा में कोर्ट हर्जाना भी ठोक सकती है।
फिलहाल सरकार की मंशा के अनुरूप शिक्षामित्र के मूल तैनाती स्थल वाले
विद्यालय में लौटने के विकल्प वाला आदेश जारी किया जाएगा। बता दें कि
शिक्षामित्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या यही है कि समायोजित होने के बाद
उन्हें अपने घर से काफी दूर स्थित विद्यालयों में नियुक्ति मिली थी जहां
उन्हें प्रतिदिन आना जाना पड़ रहा है।
शिक्षामित्रों की इस परेशानी का होगा हल
तनख्वाह
बढ़ने से वो इस दूरी का आर्थिक बोझ उठा ले रहे थे लेकिन अब दिए जा रहे
मानदेय में ऐसा कर पाना मुश्किल हो गया है। फिलहाल हाईकोर्ट में मामला
पहुंचने और कोर्ट के रुख के बाद अब शिक्षामित्र के मूल विद्यालय में लौटने
की अड़चन दूर हो जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि हाईकोर्ट की तरफ से सरकार
से पूछे गए इस सवाल का मतलब शिक्षामित्रों की बहतरी है, आने वाले समय में
शिक्षामित्रों की इस परेशानी का हल हो सकता है!
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