जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली 1यूपी के शिक्षा मित्रों को सुप्रीम कोर्ट से
एक बार फिर झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों का सहायक शिक्षक
के तौर पर समायोजन खारिज करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने से
इन्कार कर दिया और एक बार फिर अपने गत 25 जुलाई के आदेश पर मुहर लगा दी है। ये मामला यूपी के 172000 शिक्षामित्रों से संबंधित है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने शिक्षा
मित्रों की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि
उन्होंने पुनर्विचार याचिका और मामले से जुड़े दस्तावेजों को बारीकी से
देखा लेकिन उन्हें आदेश पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आया।
पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के
वकील गौरव यादव ने कहा कि वे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव
याचिका दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि ये शिक्षा मित्रों की रोजी-रोटी का
सवाल है। समायोजन के बाद शिक्षा मित्रों को करीब 39000 रुपये प्रतिमाह वेतन
मिलने लगा था जो फैसले के बाद घट कर पुन: 10000 हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर
समायोजन रद करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 सितंबर 2015 के फैसले को सही
ठहराया था और शिक्षा मित्रों की याचिका खारिज कर दी थी। फैसले में कोर्ट ने
कहा था कि 172000 शिक्षा मित्रों का कैरियर बच्चों को मिले मुफ्त और
गुणवत्ता की शिक्षा की बिनाह पर नहीं हो सकता। कानून के मुताबिक नियुक्ति
के लिए 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से न्यूनतम योग्यता जरूरी है। न्यूनतम
योग्यता के बगैर किसी नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये सारी
नियुक्तियां उपरोक्त तिथि के बाद हुई हैं। 1नियमों में छूट सीमित समय के
लिए दी जा सकती है। शिक्षामित्र 23 अगस्त 2010 से पहले की श्रेणी में नहीं
आते, जिनकी नियुक्ति नियमित की जा सके। कोर्ट ने कहा था कि शिक्षामित्रों
की नियुक्ति न सिर्फ संविदा पर थी बल्कि उनकी योग्यता भी शिक्षक के लिए
निर्धारित योग्यता नहीं थी। 1उनका वेतनमान भी शिक्षक का नहीं था। इसलिए
उन्हें शिक्षक के तौर पर नियमित नहीं किया जा सकता। शिक्षामित्र निर्धारित
योग्यता के मुताबिक कभी शिक्षक नहीं नियुक्त हुए। शिक्षामित्रों को शिक्षक
के तौर पर नियमित नहीं किया जा सकता।
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