गणेश दीक्षित : शिक्षाधिकारीयों को मेरी चुनौती है की वो इस आधार पर स्थानान्तरण करके दिखायें !

आदरणीय मुख्यमन्त्री जी उ.प्र.,
सादर नमन !
इस खुले पत्र के द्वारा आज आपका ध्यान बेसिक की बदहाली की और लाना चाहता हूँ ।
गत जबसे प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तबसे बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी के कारण आम शिक्षक खुद को शोषित महसूस कर रहा है ।

पुरानी सरकार के अधिकारीयों का रवैया पुरानी सरकार जैसा ही चल रहा है -
1- 5 वर्ष अनुभव के बाद स्थानांतरण का नियम नियमावली में करने के एक माह बाद ही इनके द्वारा तोड़ा गया और कुछ चहेते लोगों को मनमाने और गलत तरीके से मनचाही जगह पर स्थानांतरीत कर दिया गया , नतीजा  भेदभावपूर्ण कृत्य से सरकार की छवि धूमिल हुई ।
2-पलपल बदलते नियम , आपके अधिकारीगण लागातार नियमों में मनमाने परिवर्तन करने में लगे हैं जिससे समस्या समाधान तो नहीं हो पाता वरन समस्या और जटिल और अस्थाई ही बनी रहती है ।
3- आपके अधिकारियों ने पुनः मनमाना काम किय़ा है -
ये काम विधि विरुद्ध तो है ही साथ ही मूल अधिकारों का हनन भी है ।
बेसिक के अंतरजनपदीय स्थानांतरण में केवल महिलाओं की समस्यायों को संज्ञान में लिया गया जो की उन पुरुष अध्यापकों के साथ अन्याय है जो इसी प्रकार की गम्भीर समस्यायों से गुजर रहे हैं ।
स्त्री-पुरूष भेदभाव जनित ये विज्ञप्ति सम्विधान के विरुद्ध है अतः बेसिक के कर्ता-धर्ता इन अल्पज्ञानी शिक्षाधिकारीयों को मेरी चुनौती है की वो इस आधार पर स्थानान्तरण करके दिखायें !
अभी कानून और अदालतें उ.प्र. काम कर रहे हैं ,
प्रदेश सरकार को जानबूझकर बदनाम करने की साजिश रचने वाले अधिकारियों की मनमानी और हिटलरशाही नहीं चलेगी ।
हम इस विज्ञप्ति का विरोध करते हुये इसके विरुद्ध अदालत में अपील करेंगे ।
अतः आपसे अनुरोध है की ऐसे अधिकारियों को दंडित करते हुये बेसिक में व्याप्त भ्रष्टाचार और भेदभाव को मिटाने का प्रयास करें ।
प्रार्थी आपका सदैव आभारी रहेगा ।
धन्यवाद !
आपका स्नेही - गणेश शंकर दीक्षित
उ.प्र.टीईटी संघर्ष मोर्चा उ.प्र.
9369222535
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