अगर सरकार अध्यापको से खाना बनवाने ,झाड़ू लगवाने, ड्रेस खरीदवाने जैसे गैर शैक्षणिक कार्य कराती रहेगी तो यही होगा। ग्राम प्रधान और विभाग के दलालों को दलाली नही मिली तो इस हद तक प्रताड़ित किया कि रिटायरमेंट के दिन खुद को क्लासरूम में ही फूक दिया।
सुसाइड नोट में बकायदा अध्यापक ने लिखा है कि दलाली न देने के कारण उसका वेतन रोक दिया जाता था और अन्य कारणों से प्रताड़ना की जाती थी।
माननीय योगी जी कृपया ध्यान दें अध्यापक की जिम्मेदारी पठन पाठन में तय की जाएं न कि खाना बनवाने और दलाली के बंदरबांट में। इस सरकार से बहुत उम्मीदें हैं। कृपया मुद्दें का संज्ञान लें।
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