68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं , उर्दू विषय शामिल करने की मांग खारिज

इलाहाबाद। परिषदीय विद्यालयों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 27 मई को आयोजित होने जा रही शिक्षक भर्ती परीक्षा पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई के लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह तक टाल दी है। शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजन को कई आधारों पर चुनौती दी गई थी। इस मामले में दाखिल याचिकाओं में परीक्षा का आयोजन एनसीटीई द्वारा तय गाइड लाइन के विपरीत करार देते हुए संबंधित शासनादेश रद्द करने की मांग की गई थी।
याचिकाओं पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने सुनवाई की। विद्याचरण शुक्ल और अन्य की याचिकाओं में बेसिक शिक्षा अध्यापक भर्ती नियमावली में किए गए 20 वें संशोधन को चुनौती दी गई थी। कहा गया कि एक बार जब एनसीटीई के निर्देश पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का आयोजन किया जा चुका है तो फिर दोबारा अर्हताकारी परीक्षा कराने का कोई औचित्य नहीं है। राज्य सरकार को अलग से नियमावली बनाने का अधिकार नहीं है।
प्रदेश सरकार का कहना था कि भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। परीक्षा का आयोजन स्क्रीनिंग के लिए किया जा रहा है। चूंकि अभ्यर्थियों की संख्या दोगुने से अधिक हो गई है इसलिए शार्ट लिस्ट करने के लिए परीक्षा कराई जा रही है। इसे पास करने के लिए मात्र 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। परीक्षा में प्राप्त अंक क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स में जोड़े जाएंगे। सरकार ने एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध कोई नया नियम नहीं बनाया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से प्राप्त इस जानकारी के बाद परीक्षा के आयोजन में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। सरकार को अपना पक्ष हलफनामे के माध्यम से कोर्ट में रखने का निर्देश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में होगी।
उर्दू विषय शामिल करने की मांग खारिज
इलाहाबाद। शिक्षक भर्ती परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल करने की मांग में दाखिल याचिका भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिकाओं में कहा गया कि परीक्षा में हिंदी और संस्कृत विषय को शामिल किया गया है मगर उर्दू विषय नहीं है। कोर्ट ने इस पर सरकार से पूछा था कि क्या उर्दू कक्षा एक से पांच तक के विषय में शामिल है अथवा नहीं। सरकार ने एनसीआरटी का सेलेबस प्रस्तुत कर बताया कि उर्दू प्राइमरी कक्षाओं में विषय के तौर पर नहीं है। उर्दू शिक्षकों की अलग से भर्ती की जाती है। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दीं।