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माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के कानून में धारा 21 जी जोड़ने को दी गई चुनौती, पहले से कार्यरत शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित होने को याचिका में बनाया गया आधार, कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद : उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 1982 के कानून में धारा 21-जी, जोड़ कर शिक्षकों की सीधी भर्ती में विषय विशेषज्ञों को समायोजित कर उनकी पूर्व की सेवाएं जोड़ने के प्रावधान को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि धारा 21 जी का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के विपरीत है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।


यह मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। याचिका गोरखपुर के अमित श्रीवास्तव ने दाखिल की है। याचिका के समर्थन में कहा गया है कि इस प्रावधान से, पहले से काम कर रहे शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है। ऐसे में यह कानून गलत होने के कारण कोर्ट इसे असंवैधानिक घोषित करे। याचिका में यह भी कहा गया है कि विषय विशेषज्ञों के रूप में दी गई सेवाएं जोड़ने का कानून उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 1982 के प्रावधान 21 ई और 21 एफ के भी विपरीत है इसलिए इसे रद किया जाए।

 याची का तर्क है कि विशेषज्ञ के रूप में की गई सेवा जोड़ने से सीधी भर्ती से नियुक्त शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है। सरकारी वकील का कहना है कि प्रावधान 21 जी में कोई असंवैधानिकता नहीं है। कहा कि विषय विशेषज्ञों को सीधी भर्ती के पदों पर समायोजित होने का कानूनन हक है। ऐसे में समायोजन के बाद अगर उनके काम के अनुभव को जोड़कर उन्हें बिना कोई आर्थिक लाभ दिए फायदा दिया जा रहा है तो इसमें कोई गलती नहीं है। फिलहाल कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी।

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