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2010 के बाद परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति की जांच से मची खलबली

रामपुर : प्रदेश सरकार ने 2010 के बाद परिषदीय विद्यालयों में तैनात हुए फर्जी शिक्षकों की जांच कराने के आदेश दिए हैं। आदेश से शिक्षकों में खलबली मच गई है।

अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉक्टर प्रभात कुमार ने वर्ष 2010 से अब तक परिषदीय विद्यालयों में नियुक्ति पाए हजारों फर्जी शिक्षकों की जांच कराने के आदेश दिए हैं। यह सभी नियुक्तियां सपा और बसपा शासन काल में हुई हैं। आदेश में फिलहाल आगरा अलीगढ़, फतेहपुर मेरठ और मुरादाबाद आदि जिलों में नियुक्त जांच के घेरे में है।
वर्ष 2010 के बाद से जनपद के परिषदीय विद्यालयों में हजारों शिक्षकों की नियुक्त हुए हैं। ज्यादातर नियुक्तियां भी न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही हुई हैं। वर्ष 2010-11 में 72 हजार शिक्षकों की भर्ती की भर्ती हो या फिर 29 हजार सब नियुक्तियां न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही हुई हैं। सबसे से ज्यादा विवाद वर्ष 2010-11 में हुई 1500 हजार नियुक्तियों को लेकर है। इसमें ऐसे अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया था, जिनका बीटीसी का परिणाम जारी नहीं हुआ था। इसके चलते ज्यादातर आवेदकों ने आवेदन में बढ़ा-चढ़ाकर अंक भर दिए। बाद में रिजल्ट्स आने पर संशोधन कराया गया, तो बहुत बड़ा अंतर देखने को मिला। इन नियुक्तियों में जनपद को भी 100 शिक्षक मिले थे। इनमें से दो चार शिक्षकों के फर्जी होने का संदेह है, जबकि 72 हजार, 29 हजार व अन्य भर्तियों में फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षक बनने वालों को जांच के बाद पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।


इस संबंध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता का कहना है कि जनपद में फर्जी शिक्षक एक दो ही हो सकते हैं। जबकि जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉक्टर राजवीर ¨सह का कहना है कि जनपद में जो शिक्षक फर्जी डिग्री के सहारे शिक्षक बने थे, उन्हें विभाग पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। बीएसए ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बताया कि फर्जी शिक्षक जनपद में नहीं है। यदि आदेश आता है तो निश्चित रूप से जांच कराई जाएगी, और फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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