मेरठ के दौराला क्षेत्र के ग्राम उलखपुर में एक विद्यालय ऐसा भी है,
जहां के शिक्षक सरकार के बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान को खुद के खर्च से
सार्थक कर रहे हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों और
शिक्षिकाओं ने छात्राओं को घर से स्कूल तक लाने के लिए ई रिक्शा की
व्यवस्था कराई है। इतना ही नहीं सरकार के स्वच्छता अभियान को ध्यान में
रखते हुए ये शिक्षक अपनी जेब से स्कूल को साफ सुधरा और हरा-भरा भी बना रहे
हैं।
स्कूल के प्रधानाध्यापक मदनपाल सिंह, अध्यापिकाएं सरला भारती और मंजू बाला
ने बताया कि जलालपुर गांव से 15 और मैथना गांव से पांच छात्राओं को स्कूल
लाने और वापस ले जाने के लिए उन्होंने अपने खर्च से 3000 रुपये प्रति महीने
खर्च पर ई-रिक्शा लगाया है। इसके अलावा स्कूल को स्वच्छ रखने और पर्यावरण
को संरक्षित रखने के लिए एक माली और सफाई कर्मचारी भी 5 हजार रुपये में रखा
गया है। माली और सफाई कर्मी की मदद से स्कूल में सुंदर गुलाब के फूलों का
बाग और हरियाली युक्त पार्क देखते ही बनता है। अध्यापिकाओं ने बताया कि
स्कूल में 47 छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए वह प्रयासरत हैं।
स्कूल में आने वाले बच्चों को वह हर संभव मदद की जाती है।
निर्धन बच्चों को स्टेशनरी आदि सभी अपने खर्च से देते हैं। उनका प्रयास है
कि बेटियों को अच्छी शिक्षा मिल सके। एबीएसए सिवाया उदित चौधरी ने स्कूल
स्टाफ की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें उनके व्यक्तिगत प्रयास के लिए
सम्मानित किया जाएगा। स्कूल की आवश्यकता को देखते हुए मदद के लिए
उच्चाधिकारों को इसकी संतुति भेजी जाएगी।
गांवों में जाकर परिजनों को किया बेटियों को पढ़ाने को प्रेरित
गांव जलालपुर निवासी रुस्तम वाल्मीकि, साजिद, ब्रजपाल सिंह, अशोक, ओमवीर,
रविन्द्र, इस्लाम, मुनेश, शिवकुमार, रोहित, साहिद, सुधीर कुमार आदि ने
बताया कि उनके गांव में पूर्व माध्यमिक विद्यालय नहीं था, जिसके चलते
उन्हें अपनी बेटियों को दूर स्कूल में भेजने में हिचक होती थी। उलखपुर
विद्यालय के अध्यापकों के गांव पहुंचने पर जब उन्होंने समस्या से अवगत
कराया तो शिक्षकों ने छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए बेटियों
को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। अध्यापकों ने छात्राओं के स्कूल आने
और जाने का किराया स्वयं वहन करने की बात कही। ग्रामीणों का कहना है कि
विद्यालय में छात्राओं को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी मिल रहे
हैं।
पहले स्कूल में खड़ी थी जंगली घास
पूर्व प्रधान मंगेश कुमार, कांतिप्रसाद, सुशील कुमार, नरेश, महेश, राकेश,
दिनेश आदि ने बताया कि पूर्व में रहे अध्यापकों के समय में स्कूल प्रांगण
में जंगली घास खड़ी थी। प्रधान अध्यापक मदनपाल सिंह के अथक प्रयास से स्कूल
की सूरत बदल गई। प्रधानाध्यपक की मेहनत और अध्यापिकाओं के सहयोग से स्कूल
में छायादार, फल-फूल पौधे रोपे गए। दूसरे गांवों से आने वाले लोग भी
विद्यालय को देखकर प्रशंसा करते हैं।
विद्यालय को हरा-भरा बनाने में खर्च किए 20 हजार
प्रधानाध्यपक मदनपाल सिंह ने बताया कि विद्यालय को हराभरा बनाने में लगभग
20 हजार रुपये की लागत आई है। स्कूल को हराभरा बनाने में पूर्व डीएम बी
चंद्रकला और ग्रामीणों का विशेष सहयोग मिला। इसके चलते विद्यालय प्रांगण
में हरियाली छाई है। बताया कि स्वयं भी उन्होंने हजारों रुपये के पौधे रोपे
हैं। नेहरू युवा केन्द्र की दौराला ब्लॉक समन्वयक संजू कुमारी ने भी अपनी
टीम के साथ पौधों का रोपण कराया है।
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