हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने जेबीटी अध्यापकों की भर्ती हेतु टेट की छूट मांगने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि अध्यापकों की भर्ती हेतू बनाये गए नियमों में टेट की अनिवार्यता शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सही है।
ये भर्तियां इन्हीं नियमों के तहत की जानी चाहिए। इन मामलों में प्रतिवादी बनाए गए प्रार्थियों के अनुसार उन्होंने कुल्लू के राजेश्वरी टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में वर्ष 2002 और 2003 में दो वर्षीय जेबीटी प्रशिक्षण हेतु दाखिल लिया था। उनका कोर्स 2005 में पूरा भी हो गया था, परंतु अंतिम परीक्षाएं विभिन्न कारणों से समय पर नहीं हो पाई। उन्हें अपनी अंतिम परीक्षाएं 2008 वर्ष के बैच के साथ देने का मौका दिया गया और सितंबर 2011 के पश्चात उन्होंने यह परीक्षाएं उतीर्ण कर ली। 23 अगस्त, 2012 को सरकार ने जेबीटी पदों के लिए टेट को अनिवार्य बना दिया और 12 सितंबर, 2012 को 1300 से अधिक पदों को भरने का निर्णय लिया। प्रार्थियों का कहना था कि वे 2002 व 2003 बैच के प्रशिक्षित हैं और वर्ष 2010-11 में उनकी केवल अंतिम परीक्षा ली गयी।एसएमसी भर्ती पर 12 सितंबर तक टली सुनवाई
एसएमसी भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 12 सितंबर तक टल गई। फिलहाल इस मामले में ट्रिब्यूनल की ओर से कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है। प्रशासनिक प्राधिकरण ने राज्य सरकार से इस मामले में इंस्ट्रक्शंस के अलावा संक्षिप्त जवाब शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं। प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका में यह आरोप लगाया है कि राज्य सरकार हाल ही में जारी अधिसूचना के तहत जो एसएमसी शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है वह कानूनी तौर पर गलत है।प्रार्थियों की ओर से यह दलील दी गई है कि राज्य सरकार द्वारा लंबे समय से एसएमसी शिक्षकों को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर नियुक्त किया जा रहा है। प्रार्थियों ने हाल ही में जारी अधिसूचना को रद करने व भर्ती प्रक्रिया को अंजाम न देने बाबत प्रदेश प्रशासनिक प्राधिकरण से निर्देश जारी किए जाने की गुहार लगाई है। मामले पर सुनवाई 12 सितंबर को होगी।