फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र से पाई शिक्षक की नौकरी

जागरण संवाददाता, मथुरा: बेसिक शिक्षा परिषद में शिक्षक भर्ती घोटाले में एक और नई कड़ी जुड़ गई है। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर 2010 में नौकरी पाने वाले तीन मामले सामने आए हैं।
इस मामले में गठित जांच समिति के सामने मामला उजागर होने पर दो ने कोर्ट से स्टे ले लिया है। एक का मेडिकल वेरीफिकेशन भी फर्जी पाया गया है। इनमें एक महिला शिक्षक भी शामिल हैं। एससीइआरटी के निदेशक ने ¨कग्स जॉर्ज मेडीकल कालेज (केजीएमसी) लखनऊ के चीफ से जांच कराने की सिफारिश की है।

सुप्रीम कोर्ट में र¨वद्र कुमार ने वर्ष 2010 में विशिष्ट बीटीसी के तहत फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर नौकरी पाने के संबंध में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाण पत्रों की जांच के लिए लखनऊ स्थित ¨कग्स जॉर्ज मेडीकल कालेज में एक बोर्ड गठित कर दिया। ¨कग्स जॉर्ज के मेडीकल बोर्ड ने दिव्यांग प्रमाण पत्र धारकों को बुलाया। जिले से करीब एक दर्जन से अधिक शिक्षकों को बोर्ड के सामने हाजिर होना था। ताकि उनकी दिव्यांगता का परीक्षण किया जा सके। जो लोग निर्धारित समय पर बोर्ड के सामने प्रस्तुत नहीं हुए, उनको नोटिस जारी किए गए। दिव्यांग शिक्षक रीमा ¨सह और राजकुमार बोर्ड के समक्ष हाजिर तो हुए लेकिन उनके दिव्यांग प्रमाण पत्र को बोर्ड ने खारिज कर दिया। इधर, डाइट प्राचार्य की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी का भी गठन किया। इसमें बीएसए, समाज कल्याण अधिकारी और दिव्यांग कल्याण अधिकारी शामिल थे। कमेटी ने दोनों ही शिक्षकों की नियुक्तियों को निरस्त किए जाने की संस्तुति कर बीएसए को निर्देशित कर दिया। ये जानकारी परीक्षा प्राधिकरण इलाहाबाद को भी दी गई। रीमा ¨सह और राजकुमार हाईकोर्ट चले गए और कोर्ट ने उनको स्टे दिया। प्राथमिक विद्यालय अडूकी में तैनात प्रधानाध्यापक उपेंद्र कुमार ¨सघल बोर्ड के सामने उपस्थित नहीं हुए। उपेंद्र कुमार ¨सघल ने भी बाद में हाईकोर्ट में एक रिट दायर कर दी। इस पर विभाग को काउंटर दाखिल करने के लिए कोर्ट ने कहा। उपेंद्र कुमार सिघंल की दिव्यांगता आंख से संबंधित है। पिछले माह जुलाई में डायट प्राचार्य डा. मुकेश अग्रवाल को ¨सघल की दिव्यांगता प्रमाण पत्र की रिपोर्ट ¨कग्स जॉर्ज मेडीकल कालेज से प्राप्त हुई, जिसमें उनके प्रमाण पत्र को फर्जी बताया गया। जिस पर डॉ. एसके भास्कर और डा. निकिता के जो हस्ताक्षर थे, वे भी फर्जी थे। इसी आधार पर बीएसए ने उपेंद्र कुमार ¨सघल को नोटिस जारी किया था। इस पर ¨सघल ने उच्च न्यायालय से स्टे ले लिया है। इस मामले में विभाग ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी है। एससीइआरटी के निदेशक ने केजीएमसी के चीफ को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने की सिफारिश की है।