लिखित परीक्षा में तय मानक से अधिक सफल, चयन बोर्ड से टीजीटी 2011 कला में 342 उत्तीर्ण घोषित, 61 पदों के साक्षात्कार में 37 अधिक अभ्यर्थियों को दे रहा है मौका

अशासकीय माध्यमिक कालेजों के शिक्षक चयन में नियमावली के उल्लंघन का मामला सामने आया है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने प्रशिक्षित स्नातक यानि टीजीटी 2011 कला विषय की लिखित परीक्षा में तय मानक से 37 अधिक अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया है।
इंटरव्यू में तय पदों का पांच गुना से अधिक अभ्यर्थी शामिल नहीं हो सकते। ऐसे में अब 37 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार कैसे होगा, इस पर अफसर बोलने को तैयार नहीं हैं।

चयन बोर्ड ने टीजीटी 2011 कला विषय के 61 पदों की लिखित परीक्षा 16 जून, 2016 को कराई। वेबसाइट पर इसकी उत्तरकुंजी 21 फरवरी 2017 को जारी हुई। उत्तरकुंजी पर मिली आपत्तियों का विषय विशेषज्ञों से निस्तारण के बाद लिखित परीक्षा का परिणाम 26 जून, 2018 को जारी हुआ। परीक्षा में 262 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए। संशोधित उत्तरकुंजी वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई।

आपत्तियां मिलीं तो बदला परिणाम

लिखित परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के दूसरे ही दिन 28 जून को संशोधित उत्तरकुंजी पर आपत्तियां मिली। इसमें कहा गया कि तीन प्रश्नों का जवाब गलत है। विषय विशेषज्ञों ने भी आपत्तियों को सही माना। चयन बोर्ड ने उत्तरकुंजी फिर संशोधित की और लिखित परीक्षा का संशोधित परिणाम सात जुलाई को जारी किया। लिखित परीक्षा में सफल होने की संख्या 262 से बढ़कर 342 हो गई। चयन बोर्ड ने पत्र में लिखा कि 342 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए अर्ह होंगे।

ज्यादा अभ्यर्थी बुलाने पर सवाल

चयन बोर्ड के संशोधित परिणाम के बाद प्रधानाचार्य अवधेश सिंह ने जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत चयन बोर्ड से पूछा कि चयन बोर्ड नियमावली 1998 में तय पदों के सापेक्ष इंटरव्यू में कितने अभ्यर्थी बुलाने का नियम है। छह सितंबर को जनसूचना अधिकारी ने जवाब में लिखा है कि तय पदों का कम से कम तीन गुना व अधिक से अधिक पांच गुना इंटरव्यू में बुलाया जा सकता है।

305 की जगह 342 हुए अर्ह

टीजीटी 2011 कला के 61 पदों के साक्षात्कार में अधिकतम 305 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू होना चाहिए लेकिन, बोर्ड इन पदों के लिए 342 को मौका दे रहा है। प्रतियोगी मोर्चा के अनिल कुमार पाल का कहना है कि यह नियमावली का उल्लंघन है। इसी विषय के नौ प्रश्नों का विवाद हाईकोर्ट में लंबित है, जिस पर 24 सितंबर को सुनवाई होनी है। इस मुद्दे पर अफसरों ने मौन साध लिया है।