1) शून्य जनपद के रंग में भंग डालने हेतु कल एक और अपील 51 जनपद चयनितों द्वारा डाली गई है SPLA 617/18 रितेश सिंह।
2) कल की पोस्ट यदि स्टे मिल जाये तो : SPLA 613/18 मोहित द्विवेदी तो खारिज हो रही थी वो तो हमारी रणनीति काम कर गयी और रितेश सिंह नामक SPLA 617/18 में एल पी मिश्रा ने जोरदार बहस करते हुए सब सम्भाल लिया।
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3) कल की पोस्ट यदि स्टे न मिले तो : मोहित द्विवेदी अपील के वकीलों ने SPLA 617/18 रितेश सिंह के अधिवक्ता एल पी मिश्रा को बोलने ही नहीं दिया जिस कारण स्टे नहीं मिला। जब पैरवी करने की क्षमता न हो तो दूसरों की में टांग नहीं अड़ानी चाहिए।
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4) चूंकि राजेश चौहान ने ही 0 ko रोकने का अंतरिम आर्डर किया था इसलिए हो सकता है कि वे सीजे को इससे अवगत करा दें और यह केस विक्रम नाथ और रंगनाथ पांडे की बेंच में चला जाये।
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5) यदि केस ट्रांसफर का रूख दिखाई देने लगे तो फाइनल ऑर्डर इरशाद अली जी का है यह कहकर 0 जनपद को सीजे कोर्ट में ही सुनवाई का आग्रह करना चाहिए।
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6) अगले पूरे सप्ताह सीजे लखनऊ में रहेंगे और सीजे कोर्ट में केस लगने से ऐसा भी हो सकता है कि अगले ही सप्ताह जिला वरीयता का सर्वनाश हो जाये।
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7) एल पी मिश्रा की चालों से शून्य जनपद बच कर रहे। क्योंकि डिवीजन बेंच में सीजे कोर्ट से जितना लाभ शून्य जनपद को मिल सकता है वो किसी और कोर्ट से नहीं मिलेगा।
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8) चूंकि कल ही एल पी मिश्रा जी वाली अपील भी लग गयी है तो अब दिवाकर सिंह SPLA 609/18 का रोल न के बराबर रह गया है।
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9) कल शून्य जनपद के लिए Do or Die, Dont ask Why की सिचुएशन है। अतः सभी लोग शून्य को सपोर्ट करें। कल नहीं तो कभी नहीं।
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10) शून्य जनपद उपरोक्त बातो के साथ साथ पुरानी पोस्ट में कही हुईं बातों को भी संज्ञान में रखे। संक्षेप में -
■ केस ट्रांसफर होने से बचाये
■ एल पी मिश्रा को बोलने का अवसर न दे अपने अधिवक्ताओं को डोमिनेट करने के लिए आज ब्रीफ करदें
■ आर्टिकल 14, 16(1) और 16(3) के आधार पर स्टे की मांग करें।
■ न्यायमूर्तियों के हाव भाव और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान रखें स्टे मिलता न दिखाई दे तो कोर्ट को बताएं कि नियम 14(1)(a) 2015 से इसी कोर्ट में चैलेंज्ड है और कॉन्स्टिट्यूशन के ultravires डिक्लेअर करने की प्रेयर है।
■ MISB 10131/15 और 11652/18 की पेटिशन की प्रति और उसमें हुए daily ऑर्डर्स का प्रिंट कोर्ट में लेकर जाएं।
■ पूरी ताकत झोंक दें। क्योंकि इस सप्ताह के बाद डिवीजन बेंच को लेकर उठा पटक रहेगी।
■ सरकारी वकील CSC से बात करलें की अपनी अपील का जिक्र न करें। अड्जर्नमेंट न होने दे किसी भी स्थिति में।
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~AG
2) कल की पोस्ट यदि स्टे मिल जाये तो : SPLA 613/18 मोहित द्विवेदी तो खारिज हो रही थी वो तो हमारी रणनीति काम कर गयी और रितेश सिंह नामक SPLA 617/18 में एल पी मिश्रा ने जोरदार बहस करते हुए सब सम्भाल लिया।
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3) कल की पोस्ट यदि स्टे न मिले तो : मोहित द्विवेदी अपील के वकीलों ने SPLA 617/18 रितेश सिंह के अधिवक्ता एल पी मिश्रा को बोलने ही नहीं दिया जिस कारण स्टे नहीं मिला। जब पैरवी करने की क्षमता न हो तो दूसरों की में टांग नहीं अड़ानी चाहिए।
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4) चूंकि राजेश चौहान ने ही 0 ko रोकने का अंतरिम आर्डर किया था इसलिए हो सकता है कि वे सीजे को इससे अवगत करा दें और यह केस विक्रम नाथ और रंगनाथ पांडे की बेंच में चला जाये।
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5) यदि केस ट्रांसफर का रूख दिखाई देने लगे तो फाइनल ऑर्डर इरशाद अली जी का है यह कहकर 0 जनपद को सीजे कोर्ट में ही सुनवाई का आग्रह करना चाहिए।
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6) अगले पूरे सप्ताह सीजे लखनऊ में रहेंगे और सीजे कोर्ट में केस लगने से ऐसा भी हो सकता है कि अगले ही सप्ताह जिला वरीयता का सर्वनाश हो जाये।
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7) एल पी मिश्रा की चालों से शून्य जनपद बच कर रहे। क्योंकि डिवीजन बेंच में सीजे कोर्ट से जितना लाभ शून्य जनपद को मिल सकता है वो किसी और कोर्ट से नहीं मिलेगा।
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8) चूंकि कल ही एल पी मिश्रा जी वाली अपील भी लग गयी है तो अब दिवाकर सिंह SPLA 609/18 का रोल न के बराबर रह गया है।
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9) कल शून्य जनपद के लिए Do or Die, Dont ask Why की सिचुएशन है। अतः सभी लोग शून्य को सपोर्ट करें। कल नहीं तो कभी नहीं।
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10) शून्य जनपद उपरोक्त बातो के साथ साथ पुरानी पोस्ट में कही हुईं बातों को भी संज्ञान में रखे। संक्षेप में -
■ केस ट्रांसफर होने से बचाये
■ एल पी मिश्रा को बोलने का अवसर न दे अपने अधिवक्ताओं को डोमिनेट करने के लिए आज ब्रीफ करदें
■ आर्टिकल 14, 16(1) और 16(3) के आधार पर स्टे की मांग करें।
■ न्यायमूर्तियों के हाव भाव और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान रखें स्टे मिलता न दिखाई दे तो कोर्ट को बताएं कि नियम 14(1)(a) 2015 से इसी कोर्ट में चैलेंज्ड है और कॉन्स्टिट्यूशन के ultravires डिक्लेअर करने की प्रेयर है।
■ MISB 10131/15 और 11652/18 की पेटिशन की प्रति और उसमें हुए daily ऑर्डर्स का प्रिंट कोर्ट में लेकर जाएं।
■ पूरी ताकत झोंक दें। क्योंकि इस सप्ताह के बाद डिवीजन बेंच को लेकर उठा पटक रहेगी।
■ सरकारी वकील CSC से बात करलें की अपनी अपील का जिक्र न करें। अड्जर्नमेंट न होने दे किसी भी स्थिति में।
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