एक साल में एक भी भर्ती की जांच पूरी नहीं, 586 भर्तियों की होनी जांच: पेपर लीक प्रकरण की न्यायिक जाँच इसी हफ्ते

प्रयागराज : उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) से पांच साल के दौरान हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच एक साल में एक भी भर्ती का सच उजागर नहीं कर सकी है।
पीसीएस 2015 में गड़बड़ी का पता लगने और एफआइआर के बाद ही जांच रुक गई, जबकि तीन अन्य बड़ी भर्तियों को भी खंगालने के लिए सीबीआइ के कदम आगे बढ़ चुके थे।

भर्तियों की जांच के लिए सीबीआइ की टीम 31 जनवरी 2018 को यूपीपीएससी में दाखिल हुई थी। तत्कालीन टीम लीडर राजीव रंजन समेत अन्य अधिकारियों ने जिस तेजी से परीक्षा भवन पर शिकंजा कसा और अभ्यर्थियों से शिकायतें लीं उससे यह तय माना जा रहा था कि दो से तीन माह में पीसीएस 2015 भर्ती की गड़बड़ी के दोषियों का चेहरा सामने आ जाएगा। इसके साथ ही लोअर सबऑर्डिनेट, आरओ-एआरओ तथा पीसीएस जे की भर्ती में भी शिकायतों के आधार पर जांच शुरू कर दी गई। चार माह में यानी मई तक सीबीआइ अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने भारी साक्ष्य जुटा लिए हैं। पांच मई को यूपीपीएससी के खिलाफ पहली एफआइआर दर्ज की। इसके बाद यूपीपीएससी में छापा मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज सील किए।

सीबीआइ के इस कदम के बाद ही जांच प्रभावित हो गई, जिसकी शुरुआत के लिए अब तक कदम नहीं बढ़ सके हैं। प्रदेश सरकार ने 31 जुलाई 2017 को केंद्र सरकार से यूपीपीएससी की भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की जो सिफारिश की थी और उस आधार पर केंद्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रलय की ओर से अधिसूचना जारी हुई थी एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच 586 भर्तियों की जांच होनी है। यानी जिस तरह से एक साल में एक भी भर्ती की जांच पूरी नहीं हो सकी है उससे सवाल उठ रहे हैं कि 586 भर्तियों की जांच का भविष्य क्या होगा।

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में प्रश्नपत्र आउट होने की न्यायिक जांच इस हफ्ते शुरू हो जाएगी। विधिक औपचारिकताएं पूरी होते ही सेवानिवृत्त जज सुभाषचंद्र बोस एकल तथ्यात्मक अन्वेषण समिति का नेतृत्व संभालेंगे। इसके लिए सोमवार को यूपीएचईएससी में बैठक भी होगी, जिसमें आवश्यक बिंदुओं को रखने पर चर्चा होगी।

विज्ञापन संख्या 47 के तहत 12 जनवरी को हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में एक विषय का प्रश्नपत्र आउट होने और सोशल मीडिया पर वायरल होने की शिकायत के बाद इसकी न्यायिक जांच का निर्णय पिछले दिनों हुआ था। कानपुर के सेवानिवृत्त जज सुभाषचंद्र की ओर से असमर्थता जताने के बाद यूपीएचईएससी ने कन्नौज के सेवानिवृत्त जज सुभाषचंद्र बोस को जांच सौंपी है, जिनके इसी सप्ताह यूपीएचईएससी पहुंचकर जांच शुरू करने के आसार हैं। इस प्रकरण पर यूपीएचईएससी के बोर्ड ने अभ्यर्थियों की शिकायतों और अपना भी शुरुआती पक्ष न्यायिक अधिकारी के समक्ष रखने की तैयारी कर ली है। सोमवार को होने वाली बैठक में संबंधित प्रश्नपत्र के अलावा अन्य विषयों की उत्तरकुंजी पर अहम निर्णय लिया जा सकता है। सचिव वंदना त्रिपाठी ने कहा है कि जांच अभी शुरू नहीं हुई है, बैठक में इस पर निर्णय होगा।