69000 कटऑफ मामले पर 29 जनवरी की सुनवाई और काउंटर के संबंध में AG की कलम से

*69000 कटऑफ 29 जनवरी की सुनवाई और काउंटर*
1) 60 65 कटऑफ समर्थक ध्यान से पढ़ें जिनमें कुछ को छोड़कर बाकी अभी तक भी इस भरोसे बैठे हैं कि सरकार कुछ करेगी न चाहते हुए भी लिखना पढ़ रहा है, आंखे खोलनी आवश्यक हैं क्योकि बस 2 बजे तक का समय है।

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2) काउंटर 20 पेज का है जिसमें 36 पैरा हैं और यह बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव चंद्रशेखर पाण्डया द्वारा ACSC रणविजय सिंह द्वारा दाखिल किया गया है।
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3) पैरा 23 को छोड़कर बाकी 35 पैराग्राफ में कुछ भी इतना सॉलिड नहीं है कि 60/65 कटऑफ को बचा सके और ये पैरा 23 भी उन शेरों के अथक प्रयासों का नतीजा है जो बारिश, भूख और कम संख्या होने की परवाह न करते हुए ज्ञापन देने निकले।
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4) ज्ञापन में दिए गए ग्राउंड्स में से पैरा 9 के ग्राउंड को काउंटर में जगह दी गयी है लेकिन बाकी ग्राउंड्स को नजरअंदाज कर दिया गया है यदि बाकी ग्राउंड्स को भी सम्मिलित किया जाता तो 60/65 अमर हो जाती।
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5) इसलिए सरकार के काउंटर के भरोसे बैठने वाले अगली परीक्षा तक भी घर, कोचिंग और प्राइवेट जॉब्स में बैठेंगे। जो लोग जागना चाहते हैं वो टेलीग्राम इनस्टॉल करके एजी सर्च करके हमें मेसेज करें। हम लोगो के पास बस आज 2 बजे तक का समय है।
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6) काउंटर में वाहियात कुतर्क दिए गए हैं जो 30/33 के काउंटर से थोड़े उच्च हैं बेटर हैं पर बेस्ट नहीं है कुछ उदाहरण आपको दे देते हैं।
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7) काउंटर के पैरा 2 और 3 में स्पष्ट कहा गया है कि 60/65 विरोधियों ने संविधान के आर्टिकल 14, 16 और रूल्स औफ़ द गेम के आधार पर चुनौती दी है लेकिन सरकार द्बारा उसके काउंटर में तथ्य लगाने की बजाए धूल में लठ चलाया गया है।
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8) सरकार द्वारा कहा गया है कि जिस केस में शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हुआ है यानी आनंद कुमार यादव केस, उसमें कोर्ट ने यह कहीं नहीं कहा कि एग्जाम कराने से पहले क्वालिफाइंग कटऑफ भी बतानी होगी।
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9) सरकार ने 1981 रूल्स के रूल 2(1)(x) को आधार बनाया है यानी न्यूनतम उत्तीर्णआँक सरकार द्वारा समय समय पर अवधारित किये जायेंगे जबकि यह ग्राउंड सेकंडरी ग्राउंड है और उससे पहले प्राइमरी ग्राउंड को काउंटर नहीं किया गया है कि खेल शुरू होने के बाद आखिर बदलाव क्यों किया गया।
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10) पैरा 5 और 6 में भी बार बार यह कहा गया कि क्वालिटी से समझौता करने को कोर्ट ने नहीं कहा है जबकि कोई आनंद कुमार यादव केस को पढ़ेगा तो पायेगा की सुप्रीम कोर्ट का क्वालिटी से तातपर्य था टेट पास करने से क्योंकि टेट पास करने वाला टीचर बनने के योग्य है और तत्कालिन सपा सरकार ने बिना टेट पास कराए इनको टीचर रख लिया था।
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11) सरकार ने पूरा काउंटर इस बात पर घुमा दिया है कि भारांक के कारण कटऑफ लगाना जरूरी था और उस बात को इग्नोर कर दिया है कि यदि पासिंग कटऑफ लगानी थी तो नोटिफिकेशन के टाइम क्यों नहीं लगाई।
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12) सरकार ने वही वाला काम किया है कि प्रश्न पेड़ के बारे में पूछा जाए और पेड़ के बारे में बताने के बजाए बकरी को पेड़ से बांधकर बकरी के बारे में बता दिया जाए। पूरा कॉउंटेर उसी प्रकार है।
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13) यहां तक कि सरकार ने 68500 भर्ती को लेकर शिक्षामित्र कुलभूषण मिश्रा द्वारा दाखिल रिट A - 17620/2018 के ऑर्डर को भी चिपका दिया है जिसमें शिक्षामित्र ने 67 अंक न ला पाने पर कोर्ट से यह आग्रह किया था कि भारांक परीक्षा के प्राप्तांको में जोड़ दिया जाए।
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14) और कोर्ट ने यह कहकर याचिका को निस्तारित कर दिया था कि भारांक तो अंत मे मिलेगा। इस ऑर्डर को लगाने का कोई तुक नहीं बनता था।
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15) हमारा उद्देश्य डराना नहीं है आंखे खोलना है ताकि आप समझ जाएं कि 60/65 विरोधियों ने जो ग्राउंड्स लगाए हैं सरकार ने उन्हें काउंटर ही नहीं किया है।
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16) अब पूरा दारोमदार 60/65 समर्थक टीम के कंधों पर आ गया है। हम लोगो के पास पर्याप्त तथ्य और सार्थक तर्क हैं जो विरोधियों के ग्राउंड्स की धज्जियां उड़ाने में सक्षम हैं पर प्रॉब्लम है सीनियर न होने की।
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17) 60/65 के विरोधियों की ओर से 5 सीनियर होंगे और 27 से अधिक दूसरे एडवोकेट्स होंगे जबकि हमारी ओर से केवल 1 सीनियर और 4 अस्सिस्टिंग एडवोकेट्स हो पाए हैं।
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18) कहीं ऐसा न हो कि 30+ विरोधी वकीलों के आगे हमारे 5 एडवोकेट्स की आवाज दबी रह जाये और पर्याप्त लीगल ग्राउंड्स के बाद भी हम हार जाएं।
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19) आपके पास आज 2 बजे तक का समय है सर्वेश प्रताप सिंह के खाते में सहयोग कीजिये ताकि एक और सीनियर किया जा सके। बाकी आपकी इच्छा।
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PS: विरोधियों द्वारा अफवाहें उड़ाई गयी कि जनरल की कटऑफ कम करने को केस किया गया है और ओबीसी की बढ़ाने को केस किया गया है तो इतना जानलो हम गारंटी देते हैं कि कोर्ट को यह अधिकार नहीं है कि वो रिलैक्स्ड स्टैंडर्ड्स को लेकर छेड़खानी कर सके। इन याचिकाओं का वही हाल होगा जो शिव नारायण वर्मा और मनदीप सिंह की याचिकाओं का 68500 भर्ती में हुआ था।