प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में
परीक्षा के बाद कटऑफ मार्क्स तय किए जाने के विरोध में दायर याचिकाओं पर
याचियों के वकीलों की बहस पूरी हो गई।
इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने
पक्ष रखने के लिए अदालत से फिर समय दिए जाने का आग्रह किया। इलाहाबाद उच्च
न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने इसे मंजूर
करते हुए अगली सुनवाई 18 फरवरी को नियत कर दी।
सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा गत 6 जनवरी को हुई थी। 7 जनवरी को राज्य सरकार ने शासनादेश जारी करते हुए सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसदी व आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी क्वालीफाइंग मार्क्स तय कर दिए।
याचियों के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इसके पहले हुई शिक्षक भर्ती में सामान्य वर्ग के लिए 45 फीसदी व आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी क्वालीफाइंग मार्क्स तय किए गए थे। उनका कहना था कि सरकार का यह शासनादेश शिक्षामित्रों के मामले में विभेदकारी है।
सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा गत 6 जनवरी को हुई थी। 7 जनवरी को राज्य सरकार ने शासनादेश जारी करते हुए सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसदी व आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी क्वालीफाइंग मार्क्स तय कर दिए।
याचियों के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इसके पहले हुई शिक्षक भर्ती में सामान्य वर्ग के लिए 45 फीसदी व आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी क्वालीफाइंग मार्क्स तय किए गए थे। उनका कहना था कि सरकार का यह शासनादेश शिक्षामित्रों के मामले में विभेदकारी है।