लापरवाही करें अधिकारी और भुगतें बेरोजगार युवा। मामला 69,000 शिक्षक
भर्ती का है। पहले जहां यह भर्ती 15 फरवरी तक पूरी की जानी थी, वहीं अब
इसके लोकसभा चुनाव के पहले होने की उम्मीद बहुत कम है। कटऑफ अंकों को लेकर
मामला हाईकोर्ट में है।
यदि फरवरी में इस पर फैसला नहीं आया तो चुनाव के पहले भर्ती पूरी नहीं हो पाएगी। इसके चलते चार लाख से ज्यादा अभ्यर्थी परेशान हैं।
18 फरवरी को बहस पूरी करने का आदेश
अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व सभी पक्षकारों 18 फरवरी को बहस पूरी करने का आदेश दिया है। शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 4,10,440 अभ्यर्थियों ने दी है। इसमें पास होने वाले अभ्यर्थी ही शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इस भर्ती की लिखित परीक्षा 6 जनवरी को हुई थी और 22 जनवरी को परिणाम घोषित किया जाना था। वहीं भर्ती की प्रक्रिया 15 फरवरी तक पूरी करने की योजना थी, लेकिन राज्य सरकार की मंशा पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया। बेसिक शिक्षा विभाग ने लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ अंक जारी कर दिया और यहीं से मामला फंस गया। विभाग ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी पासिंग मार्क्स तय कर दिये। अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती के बीच में नियम नहीं बदले जा सकते। यदि कट ऑफ अंक निर्धारित करने ही थे तो लिखित परीक्षा के पहले करने थे।
इसे लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गये और तब से इस मामले पर सुनवाई चल रही है। मामला इसलिए भी ज्यादा तूल पकड़ गया कि पिछली भर्ती यानी 68,500 शिक्षक भर्ती में सरकार ने 40 और 45 फीसदी पासिंग मार्क्स रखे थे। उस समय सरकार इसे घटा कर 35 और 40 किया था लेकिन हाईकोर्ट ने इसे नहीं माना और 40 और 45 फीसदी ही पासिंग मार्क्स मानते हुए रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था।
यदि फरवरी में इस पर फैसला नहीं आया तो चुनाव के पहले भर्ती पूरी नहीं हो पाएगी। इसके चलते चार लाख से ज्यादा अभ्यर्थी परेशान हैं।
18 फरवरी को बहस पूरी करने का आदेश
अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व सभी पक्षकारों 18 फरवरी को बहस पूरी करने का आदेश दिया है। शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 4,10,440 अभ्यर्थियों ने दी है। इसमें पास होने वाले अभ्यर्थी ही शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इस भर्ती की लिखित परीक्षा 6 जनवरी को हुई थी और 22 जनवरी को परिणाम घोषित किया जाना था। वहीं भर्ती की प्रक्रिया 15 फरवरी तक पूरी करने की योजना थी, लेकिन राज्य सरकार की मंशा पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया। बेसिक शिक्षा विभाग ने लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ अंक जारी कर दिया और यहीं से मामला फंस गया। विभाग ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी पासिंग मार्क्स तय कर दिये। अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती के बीच में नियम नहीं बदले जा सकते। यदि कट ऑफ अंक निर्धारित करने ही थे तो लिखित परीक्षा के पहले करने थे।
इसे लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गये और तब से इस मामले पर सुनवाई चल रही है। मामला इसलिए भी ज्यादा तूल पकड़ गया कि पिछली भर्ती यानी 68,500 शिक्षक भर्ती में सरकार ने 40 और 45 फीसदी पासिंग मार्क्स रखे थे। उस समय सरकार इसे घटा कर 35 और 40 किया था लेकिन हाईकोर्ट ने इसे नहीं माना और 40 और 45 फीसदी ही पासिंग मार्क्स मानते हुए रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था।