यूपी में एडेड जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए कार्रवाई शुरू
कर दी गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से रिक्त पदों के अधियाचन
मांगे हैं। प्रदेश में 3049 एडेड स्कूल हैं।
एडेड स्कूलों में अभी तक प्रबंधतंत्र ही भर्ती करता था लेकिन इसमें होने वाले फर्जीवाड़े के चलते अब राज्य सरकार सीधी भर्ती कर रही है और इसके लिए लिखित परीक्षा का जिम्मा परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सौंपा गया है। हालांकि पहले जुटाये गये ब्यौरे में लगभग 4 हजार रिक्त पद थे। लेकिन अब नये सिरे से जनशक्ति निर्धारण कर पदों का आकलन किया जाएगा।
बीते वर्ष जनवरी में राज्य सरकार ने नये सिरे से पदों के आकलन का आदेश जारी किया और जून में भर्तियों पर रोक लग गई। लिहाजा अब नये सिरे से पदों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। अभी लगभग 24 हजार पद इन स्कूलों के लिए सृजित है। लेकिन सरकार का मानना है कि एडेड स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है और लम्बे समय से जनशक्ति निर्धारण न होने से शिक्षकों की संख्या ज्यादा हो सकती है। लिहाजा नये सिरे से मानकों के मुताबिक संख्या तय की जाएगी।
न्यूनतम 3 शिक्षक होंगे
सहायताप्राप्त स्कूलों में जनशक्ति का निर्धारण 1990 में किया गया था। उसमें न्यूनतम 4 शिक्षक, एक प्रधानाचार्य और 1-1 चपरासी व लिपिक के पद अनुमन्य किए गये थे। लेकिन अब सरकार ने लिपिक व चपरासी का पद खत्म करते हुए इन स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम 3 पद निर्धारण के आदेश दिये हैं। 100 से ज्यादा बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद मान्य होगा। स्कूलों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। राज्य सरकार एडेड स्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देती है।
एडेड स्कूलों में अभी तक प्रबंधतंत्र ही भर्ती करता था लेकिन इसमें होने वाले फर्जीवाड़े के चलते अब राज्य सरकार सीधी भर्ती कर रही है और इसके लिए लिखित परीक्षा का जिम्मा परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सौंपा गया है। हालांकि पहले जुटाये गये ब्यौरे में लगभग 4 हजार रिक्त पद थे। लेकिन अब नये सिरे से जनशक्ति निर्धारण कर पदों का आकलन किया जाएगा।
बीते वर्ष जनवरी में राज्य सरकार ने नये सिरे से पदों के आकलन का आदेश जारी किया और जून में भर्तियों पर रोक लग गई। लिहाजा अब नये सिरे से पदों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। अभी लगभग 24 हजार पद इन स्कूलों के लिए सृजित है। लेकिन सरकार का मानना है कि एडेड स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है और लम्बे समय से जनशक्ति निर्धारण न होने से शिक्षकों की संख्या ज्यादा हो सकती है। लिहाजा नये सिरे से मानकों के मुताबिक संख्या तय की जाएगी।
न्यूनतम 3 शिक्षक होंगे
सहायताप्राप्त स्कूलों में जनशक्ति का निर्धारण 1990 में किया गया था। उसमें न्यूनतम 4 शिक्षक, एक प्रधानाचार्य और 1-1 चपरासी व लिपिक के पद अनुमन्य किए गये थे। लेकिन अब सरकार ने लिपिक व चपरासी का पद खत्म करते हुए इन स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम 3 पद निर्धारण के आदेश दिये हैं। 100 से ज्यादा बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद मान्य होगा। स्कूलों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। राज्य सरकार एडेड स्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देती है।