हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर बुधवार को अंतरिम रोक लगा दी। यह रोक अगली सुनवाई 12 जुलाई तक जारी रहेगी। न्यायालय ने अंतिम उत्तर कुंजी से संबंधित अभ्यर्थियों की आपत्तियों को 10 दिनों में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को भेजने का आदेश दिया है।
जिसके पश्चात यूजीसी के सचिव एक विशेषज्ञ पैनल का गठन कर आपत्तियों पर दो सप्ताह में रिपोर्ट परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण को भेजेंगे। प्राधिकरण शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट को न्यायालय में प्रस्तुत करेगा। दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने तय किया है कि आदेश का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंड पीठ में इसके खिलाफ विशेष अपील की जाएगी।
31 याचिकाओं की सुनवाई: यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल सदस्यीय पीठ ने सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल 31 अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाओं में 8 मई को जारी अंतिम उत्तर कुंजी के कुछ उत्तरों पर आपत्ति जताई गई है। कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद पारित अंतरिम आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह कोर्ट पाती है कि उत्तर कुंजी में दिए गए कुछ उत्तर स्पष्ट तौर पर गलत हैं।
मूल्यांकन करने में हुई गलती: कुछ ऐसे भी प्रश्न हैं जिनके उत्तर पूर्व की विभिन्न परीक्षाओं में वर्तमान उत्तर कुंजी से अलग बताए गए हैं। न्यायालय ने कहा कि हमारे विचार से प्रश्न पत्र का मूल्यांकन करने में त्रुटि हुई है जिसका खामियाजा बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा। न्यायालय ने कहा कि स्वयं राज्य सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में स्वीकार किया है कि कुछ प्रश्न हैं जो विवादपूर्ण हैं और जिनके एक से अधिक उत्तर सही हो सकते हैं।
दलील खारिज: महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व मुख्य स्थाई अधिवक्ता रणविजय सिंह ने दलील दी है कि कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे विवाद में परीक्षा प्राधिकरण के पक्ष में प्रकल्पना की जानी चाहिए। न्यायालय ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि वैकल्पिक प्रश्नों में विवादपूर्ण प्रश्नों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि नियत की है।
जिसके पश्चात यूजीसी के सचिव एक विशेषज्ञ पैनल का गठन कर आपत्तियों पर दो सप्ताह में रिपोर्ट परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण को भेजेंगे। प्राधिकरण शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट को न्यायालय में प्रस्तुत करेगा। दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने तय किया है कि आदेश का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंड पीठ में इसके खिलाफ विशेष अपील की जाएगी।
31 याचिकाओं की सुनवाई: यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल सदस्यीय पीठ ने सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल 31 अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाओं में 8 मई को जारी अंतिम उत्तर कुंजी के कुछ उत्तरों पर आपत्ति जताई गई है। कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद पारित अंतरिम आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह कोर्ट पाती है कि उत्तर कुंजी में दिए गए कुछ उत्तर स्पष्ट तौर पर गलत हैं।
मूल्यांकन करने में हुई गलती: कुछ ऐसे भी प्रश्न हैं जिनके उत्तर पूर्व की विभिन्न परीक्षाओं में वर्तमान उत्तर कुंजी से अलग बताए गए हैं। न्यायालय ने कहा कि हमारे विचार से प्रश्न पत्र का मूल्यांकन करने में त्रुटि हुई है जिसका खामियाजा बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा। न्यायालय ने कहा कि स्वयं राज्य सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में स्वीकार किया है कि कुछ प्रश्न हैं जो विवादपूर्ण हैं और जिनके एक से अधिक उत्तर सही हो सकते हैं।
दलील खारिज: महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व मुख्य स्थाई अधिवक्ता रणविजय सिंह ने दलील दी है कि कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे विवाद में परीक्षा प्राधिकरण के पक्ष में प्रकल्पना की जानी चाहिए। न्यायालय ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि वैकल्पिक प्रश्नों में विवादपूर्ण प्रश्नों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि नियत की है।