प्रदेश के अलग-अलग जिलों में काउंसलिंग करवाने पहुंचे बहुत से अभ्यर्थियों ने अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि डेढ़ साल से यह भर्ती कटऑफ और सवालों के चक्कर में फंसी है।
डेढ़ साल पहले जब भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ, तभी कटऑफ का आदेश जारी हुआ होता तो भर्ती नहीं लटकती। डेढ़ साल बाद रिजल्ट आया तो सवालों पर आपत्तियां लेते समय ही समस्या दूर होनी चाहिए थी।
अब अगर यह छह सवाल गलत पाए जाते हैं और सबको इनका समान अंक देना पड़ा तो मेरिट से लेकर पूरी प्रक्रिया बदलनी पड़ेगी? इसका जिम्मेदार कौन होगा। उनका कहना था कि योग्य अभ्यर्थियों के साथ तो यह अन्याय है।
अहम बात यह भी है कि जब हाई कोर्ट ने दो दिन पहले ऑर्डर रिजर्व किया था तो काउंसलिंग की तारीख घोषित करने के पहले उसके आने का इंतजार क्यों नहीं किया गया? इसका खामियाजा 68 हजार अभ्यर्थियों ने भुगता।