उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों (69000 Assistant Teachers)
की चल रही भर्ती में पूर्व के मानकों की अनदेखी बेसिक शिक्षा विभाग (Basic
Education Department) के अधिकारियों ने की, जिसका खामियाजा अब अभ्यर्थी
भुगत रहे हैं। अपने अधिकार को पाने के लिए अब वह कोर्ट की शरण में जा रहे
हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) और लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में इस समय याचियों ने अपना मुकदमा दायर कर रखा है। ताकि उन्हें भी पूर्व में हुई भर्तियों के हिसाब से लाभ मिल सके और 69 हजार शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) में उनका भी नाम शामिल हो सके। बता दें आरक्षण (Reservation) का लाभ इस भर्ती में अधिकारियों ने सही तरह से नहीं दिया है।
69 हजार शिक्षक भर्ती: भदोही और मऊ में बिका था तीन से चार लाख रुपये में पेपर
जिसकी वजह से
आसानी से 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में
विवादों का साया लगातार बढ़ता जा रहा है। अभ्यर्थियों में परिषद (Basic
Education Department) के प्रति लगातार रोष बढ़ता जा रहा है। मेरिट लिस्ट को
जारी करने में जिस तरह की धांधली हुई है, उससे राहत पाने के लिए अब लोग
न्यायालय की शरण में जा रहे हैं। इस समय अभ्यर्थी न्यायालय में जाकर जिन
बिंदुओ पर अर्जी लगा रहे हैं, उनमें महिलाओं को आरक्षण (Women Reservation)
का लाभ न देना, एमआरसी सिस्टम (MRC), दिव्यांगों को आरक्षण (Handicapped
Reservation) कम देना और मेरिट लिस्ट में त्रुटि सहित अन्य बिन्दु शामिल
है। हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कई मामलों में सुनवाई करके सरकार
से कुछ सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
69 हजार शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों को आरक्षण कम दिए जाने पर मांगा जवाब
69000 सहायक
अध्यापक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में आरक्षण का लाभ न मिलने की
वजह से अब महिलाएं (Women Reservation) भी हाईकोर्ट (Allahabad High Court)
पहुंच गई है। महिलाओं को 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण न मिलने की वजह से उन
लोगों के मामले में सुनवाई हो चुकी है और सरकार से सोमवार तक जवाब मांगा
है। महिलाओं को विशेष आरक्षण (Women Reservation) पूर्व में हुई भर्तियों
में मिला है। प्रदेश सरकार ने 26 फरवरी 1999, 29 अगस्त 2003, 9 जनवरी 2007
और 28 अगस्त 2015 को शासनादेश जारी कर राज्य के अधीन लोक सेवाओं और पदों पर
सीधी भर्ती में महिलाओं (Women Reservation) के लिए 20 प्रतिशत क्षैतिज
आरक्षण का प्रावधान किया है। महिलाओं को लोक सेवा आयोग की पीसीएस, खंड
शिक्षा अधिकारी भर्ती व लेखपाल सहित अन्य सीधी भर्तियों में महिलाओं को 20
प्रतिशत पदों पर क्षैतिज आरक्षण (Women Reservation) दिया जा रहा है।
इस शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में ऐसा नहीं किया गया है, जिसके खिलाफ मीना कुशवाहा सहित अन्य याचियों ने हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में शरण ली है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनीष कुमार ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। याची मीना कुशवाहा ने बताया कि शासनोदश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) के अधिकारियों ने 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में लाभ नहीं दिया है। वर्ष 2011 में विज्ञापित 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती और उससे पूर्व की विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती प्रक्रियाओं में भी महिलाओं को विशेष आरक्षण (Women Reservation) दिया जा रहा था, लेकिन इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) में लाभ नहीं दिया गया है। अगर महिला अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो ऐसी दशा में रिक्त पदों पर पुरुष अभ्यर्थियों को चयनित किया जाता है।
69 हजार शिक्षक भर्ती: शिक्षामित्रों को लाभ देने के पक्ष में नहीं सरकार, SC में रखा अपना पक्ष
69 हजार शिक्षकों
की भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में ऐसे कई नियमों को
अपनाया गया है, जिसकी वजह से आरक्षित वर्ग के लोगों को कम लाभ मिला है।
अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अधिक लाभ इस भर्ती में दिए जाने से अब
सवाल उठ रहे हैं और लोग इस मुद्दे को लेकर भी हाईकोर्ट (Allahabad High
Court) पहुंचे हैं। इस बार भर्ती के लिए जारी कटऑफ में जनरल और ओबीसी (OBC)
वर्ग की मेरिट में कुछ ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। महज .40 का ही इस बार
अंतर रहा है। बहुत ही कम अंतर होने की वजह से अब सवाल उठ रहे हैं। यह सब
इसलिए हुआ क्योंकि 69 हजार शिक्षक भर्ती में एमआरसी (MRC System) प्रक्रिया
को अपनाया गया है। जिसकी वजह से ओबीसी (OBC) और एसी (SC) वर्ग के हजारों
अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ है।
वैसे, एमआरसी सिस्टम लागू होने की वजह से एक तरफ जहां आरक्षित वर्ग (Reservation) के लोगों को जहां मनचाहा जिला मिल गया है, तो वहीं एमआरसी (MRC) लागू होने की वजह से ही ओबीसी (OBC) और एससी (SC) वर्ग के हजारों अभ्यर्थी वंचित भी रह गए। इस शिक्षक भर्ती में जिलों के आबंटन में करीब 31 हजार रैंक तक ही सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन होना था, लेकिन करीब 50 हजार रैंक तक पर भी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। एमआरसी (MRC) की वजह से इस शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) से वंचित रहने वाले हजारों अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में पहुंचें है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में लोहा सिंह पटेल सहित अन्य लोगों ने याचिका डाली है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन तकनीकी समस्या की वजह से बहस नहीं हो सकी। अब आज इस मुद्दे पर अभ्यर्थियों की तरफ से सीनियर वकील प्रशांत चंद्रा बहस करेंगे। यह मामला भी जज राजन रॉय की बेंच में सुना जाएगा।
परिषदीय
विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों (69000 Assistant Teachers) की भर्ती
में दिव्यांगजनों (Handicapped) के लिए निर्धारित विशेष आरक्षण
(Reservation) के प्रावधानों की अनदेखी की गई है। इस वर्ग के लोगों को महज 3
प्रतिशत ही दिव्यांगों को आरक्षण (Handicapped Reservation) दिया गया है।
जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों (Handicapped) के लिए चार प्रतिशत
आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था एक सितम्बर 2018 से लागू कर दी है। इसके
अलावा इस भर्ती में उच्च गुणांक वाले दिव्यांग (Handicapped) अभ्यर्थी
जिन्होंने सामान्य श्रेणी में चयनित अभ्यर्थियों के समतुल्य या उनसे अधिक
गुणांक अर्जित किया है उन्हे भी दिव्यांग (Handicapped) श्रेणी में ही मान
लिया गया है। इस तरह का किया जाना ओवरलैपिंग के नियमों के खिलाफ है। यही
नहीं, चयनित दिव्यांगजनों (Handicapped) को विशेष आरक्षण भी सही तरीके से
नहीं दिया गया है। सबसे खास बात यह है कि इस भर्ती में पिछली भर्ती (68500
Assistant Teachers) के खाली पदों का समायोजन नहीं किया गया है।
अभ्यर्थियों को सही तरीके से लाभ न दिए जाने के कारण अब दिव्यांगजनों (Handicapped) ने अधिकारियों और बेसिक शिक्षा निदेशालय (Basic Education Department) को पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए न्याय की गुहार हाईकोर्ट में लगाई है। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में जज राजन रॉय की बेंच में सुनवाई हो चुकी है। आरक्षण (Reservation) कम दिए जाने पर कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई और लखनऊ बेंच के जज राजन रॉय ने केस को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट (Allahabad High Court) ने सरकार की तरफ से अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र को इस याचिका की सुनवाई के अधीन करने का फैसला दिया है। 4% विशेष आरक्षण के मामले में याची लक्ष्मी नारायन सिंह सहित अन्य की याचिका SERS-9035/2020 पर सुनवाई करते हुए कोर्ट (Allahabad High Court) ने सरकार से चार हफ्ते में रेजॉइंडर (Rejoinder) दाखिल करने के लिए कहा है। इस मुद्दे पर महज चंद मिनटों की बहस दिव्यांगजनों (Handicapped) के अधिवक्ता सुभाष चंद्रा ने की। वहीं, अब इस मुद्दे पर चार हफ्ते के बाद महाधिवक्ता बहस करेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) और लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में इस समय याचियों ने अपना मुकदमा दायर कर रखा है। ताकि उन्हें भी पूर्व में हुई भर्तियों के हिसाब से लाभ मिल सके और 69 हजार शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) में उनका भी नाम शामिल हो सके। बता दें आरक्षण (Reservation) का लाभ इस भर्ती में अधिकारियों ने सही तरह से नहीं दिया है।
69 हजार शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों को आरक्षण कम दिए जाने पर मांगा जवाब
महिला आरक्षण को लेकर आवाज बुलंद
इस शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में ऐसा नहीं किया गया है, जिसके खिलाफ मीना कुशवाहा सहित अन्य याचियों ने हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में शरण ली है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनीष कुमार ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। याची मीना कुशवाहा ने बताया कि शासनोदश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) के अधिकारियों ने 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में लाभ नहीं दिया है। वर्ष 2011 में विज्ञापित 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती और उससे पूर्व की विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती प्रक्रियाओं में भी महिलाओं को विशेष आरक्षण (Women Reservation) दिया जा रहा था, लेकिन इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) में लाभ नहीं दिया गया है। अगर महिला अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो ऐसी दशा में रिक्त पदों पर पुरुष अभ्यर्थियों को चयनित किया जाता है।
69 हजार शिक्षक भर्ती: शिक्षामित्रों को लाभ देने के पक्ष में नहीं सरकार, SC में रखा अपना पक्ष
MRC सिस्टम पर लखनऊ बेंच में आज सुनवाई
वैसे, एमआरसी सिस्टम लागू होने की वजह से एक तरफ जहां आरक्षित वर्ग (Reservation) के लोगों को जहां मनचाहा जिला मिल गया है, तो वहीं एमआरसी (MRC) लागू होने की वजह से ही ओबीसी (OBC) और एससी (SC) वर्ग के हजारों अभ्यर्थी वंचित भी रह गए। इस शिक्षक भर्ती में जिलों के आबंटन में करीब 31 हजार रैंक तक ही सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन होना था, लेकिन करीब 50 हजार रैंक तक पर भी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। एमआरसी (MRC) की वजह से इस शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) से वंचित रहने वाले हजारों अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में पहुंचें है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में लोहा सिंह पटेल सहित अन्य लोगों ने याचिका डाली है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन तकनीकी समस्या की वजह से बहस नहीं हो सकी। अब आज इस मुद्दे पर अभ्यर्थियों की तरफ से सीनियर वकील प्रशांत चंद्रा बहस करेंगे। यह मामला भी जज राजन रॉय की बेंच में सुना जाएगा।
69 हजार शिक्षक भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने कहा शिक्षामित्रों के 37,339 पदों को कतई न छेड़े सरकार
दिव्यांग अभ्यर्थियों को नहीं दिया गया पूरा आरक्षण
अभ्यर्थियों को सही तरीके से लाभ न दिए जाने के कारण अब दिव्यांगजनों (Handicapped) ने अधिकारियों और बेसिक शिक्षा निदेशालय (Basic Education Department) को पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए न्याय की गुहार हाईकोर्ट में लगाई है। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच (Lucknow Banch) में जज राजन रॉय की बेंच में सुनवाई हो चुकी है। आरक्षण (Reservation) कम दिए जाने पर कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई और लखनऊ बेंच के जज राजन रॉय ने केस को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट (Allahabad High Court) ने सरकार की तरफ से अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र को इस याचिका की सुनवाई के अधीन करने का फैसला दिया है। 4% विशेष आरक्षण के मामले में याची लक्ष्मी नारायन सिंह सहित अन्य की याचिका SERS-9035/2020 पर सुनवाई करते हुए कोर्ट (Allahabad High Court) ने सरकार से चार हफ्ते में रेजॉइंडर (Rejoinder) दाखिल करने के लिए कहा है। इस मुद्दे पर महज चंद मिनटों की बहस दिव्यांगजनों (Handicapped) के अधिवक्ता सुभाष चंद्रा ने की। वहीं, अब इस मुद्दे पर चार हफ्ते के बाद महाधिवक्ता बहस करेंगे।