प्रयागराज। 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल
ऐसे अभ्यर्थियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दी है, जो लिखित परीक्षा में
सफल हैं मगर ऑनलाइन आवेदन भरने में गलती कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे
अभ्यर्थियों को काउन्सिलिंग के समय अर्जी देने पर मानवीय भूल सुधारने का
मौका दिया जाए। वहीं, कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों को राहत देने से इनकार कर
दिया है, जो कि परीक्षा में असफल हुए हैं और ऑनलाइन आवेदन करने में गलती की
थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने अमर बहादुर व 25 अन्य की याचिका पर दिया है। अमर बहादुर व 25 अन्य के मामले में याचीगण सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल हैं। उनका कहना था कि ऑनलाइन आवेदन करते समय उन्होंने विभिन्न परीक्षाओं में प्राप्त अंक भरने में गलती कर दी। कुछ ने अधिक अंक भरे, जबकि कुछ ने प्राप्तांक से कम अंक भर दिए थे। इसी प्रकार दो शिक्षामित्र ऐसे हैं, जो कि शिक्षामित्र वाला कॉलम भरना भूल गए थे। इससे उन्हें 25 अंक का वेटेज नहीं मिल सका। कोर्ट ने सभी की याचिकाएं स्वीकार करते हुए कहा है कि याचीगण चयन समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना प्रत्यावेदन दें और चयन समिति उस पर विचार कर नियमानुसार निर्णय लें।
वहीं कोर्ट ऐसे अभ्यर्थियों को राहत नहीं दी है, जो लिखित परीक्षा में असफल थे। उन्होंने ऑनलाइन आवेदन की गई त्रुटि को सुधारने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अभ्यर्थियों को त्रुटि सुधार की अनुमति देने का अर्थ है कि परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा, जो कि पहले ही जारी हो चुका है। एक अभ्यर्थी ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि उसने परीक्षा के ओएमआर सीट पर उत्तर भरते समय कुछ उत्तरों को काला किया जबकि कुछ में टिक का चिन्ह लगा दिया। उसने अपनी उत्तर पुस्तिका फिर से जांचने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ओएमआर सीट पर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि उत्तर के सामने बने गोले को काला करना है। मगर याची निर्देशों को समझने में नाकाम रही। ऐसा अभ्यर्थी सहायक अध्यापक बनने के योग्य नहीं है, जो निर्देशों को न समझ सके।
यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने अमर बहादुर व 25 अन्य की याचिका पर दिया है। अमर बहादुर व 25 अन्य के मामले में याचीगण सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल हैं। उनका कहना था कि ऑनलाइन आवेदन करते समय उन्होंने विभिन्न परीक्षाओं में प्राप्त अंक भरने में गलती कर दी। कुछ ने अधिक अंक भरे, जबकि कुछ ने प्राप्तांक से कम अंक भर दिए थे। इसी प्रकार दो शिक्षामित्र ऐसे हैं, जो कि शिक्षामित्र वाला कॉलम भरना भूल गए थे। इससे उन्हें 25 अंक का वेटेज नहीं मिल सका। कोर्ट ने सभी की याचिकाएं स्वीकार करते हुए कहा है कि याचीगण चयन समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना प्रत्यावेदन दें और चयन समिति उस पर विचार कर नियमानुसार निर्णय लें।
वहीं कोर्ट ऐसे अभ्यर्थियों को राहत नहीं दी है, जो लिखित परीक्षा में असफल थे। उन्होंने ऑनलाइन आवेदन की गई त्रुटि को सुधारने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अभ्यर्थियों को त्रुटि सुधार की अनुमति देने का अर्थ है कि परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा, जो कि पहले ही जारी हो चुका है। एक अभ्यर्थी ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि उसने परीक्षा के ओएमआर सीट पर उत्तर भरते समय कुछ उत्तरों को काला किया जबकि कुछ में टिक का चिन्ह लगा दिया। उसने अपनी उत्तर पुस्तिका फिर से जांचने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ओएमआर सीट पर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि उत्तर के सामने बने गोले को काला करना है। मगर याची निर्देशों को समझने में नाकाम रही। ऐसा अभ्यर्थी सहायक अध्यापक बनने के योग्य नहीं है, जो निर्देशों को न समझ सके।