यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला अंदर ही अंदर धधक रहा है. लेकिन
बिकाऊ मीडिया चुप है. सत्ता के टुकड़खोर अखबारों-चैनलों पर इस खबर की कोई
चर्चा नहीं है. एक एक कर कड़ियां जुड़ती जा रही हैं. सरकार का रवैया घोटाले
के खुलासे और दोषियों को पकड़ने की बजाय सब कुछ पर लीपापोती करने का दिख
रहा है.
तभी तो इतने बड़े घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की बजाय एसटीएफ को जांच सौंप कर अपने मनमुताबिक रिजल्ट लाने की कवायद की गई है. घोटाला पकड़ने वाले प्रयागराज के एसएसपी को भी हटा दिया गया है. बहाना किया गया है कि उन्हें कोरोना हो गया है इसलिए प्रतीक्षारत किया गया है. पर सच्चाई जानने वाले जान रहे हैं और बोलने लिखने वाले बोल लिख रहे हैं.
इस घोटाले को उठाने में पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह, सोशल
एक्टिविस्ट व वकील नूतन ठाकुर व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका
है. जिन मीडिया वालों के कंधे पर घपले-घोटाले खोजने-छापने-दिखाने का जिम्मा
है, वह फिलहाल सत्ता के चारण भाट बनकर स्तुतिगान गा दिखा छाप रहे हैं.
नीचे फेसबुक-ट्विटर के कुछ स्क्रीनशाट दिए जा रहे हैं, कुछ लिंक दिए जा रहे हैं, कुछ आडियो-वीडियो दिए जा रहे हैं. समझ सकें तो समझें वरना रामराज तो आ ही गया है.
तभी तो इतने बड़े घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की बजाय एसटीएफ को जांच सौंप कर अपने मनमुताबिक रिजल्ट लाने की कवायद की गई है. घोटाला पकड़ने वाले प्रयागराज के एसएसपी को भी हटा दिया गया है. बहाना किया गया है कि उन्हें कोरोना हो गया है इसलिए प्रतीक्षारत किया गया है. पर सच्चाई जानने वाले जान रहे हैं और बोलने लिखने वाले बोल लिख रहे हैं.
नीचे फेसबुक-ट्विटर के कुछ स्क्रीनशाट दिए जा रहे हैं, कुछ लिंक दिए जा रहे हैं, कुछ आडियो-वीडियो दिए जा रहे हैं. समझ सकें तो समझें वरना रामराज तो आ ही गया है.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया