बिहार में हुए चुनाव के अल्पविराम के बाद अगली गर्मियों से देश में चुनावी मौसम का लंबा दौर शुरू हो जाएगा। आगामी मई महीने में पूरब में बंगाल और असम से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु और केरल समेत पांच राज्यों में चुनाव होंगे। इसी के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव तक देश में चुनावी त्योहारों का लंबा सिलसिला शुरू हो जाएगा और हर छह महीने में चुनावी पर्व दस्तक देता रहेगा। इस दौरान करीब 20 राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे।
बंगाल समेत पांच राज्यों के चुनाव में अभी छह महीने हैं मगर बिहार में वोटों की गिनती से पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल जाकर ममता बनर्जी की सत्ता को चुनौती देने के लिए भाजपा की ओर से डुगडुगी बजा दी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद से ही बंगाल की सियासत भाजपा के लिए मछली की आंख बन गई है। ऐसे में बंगाल का चुनाव ममता और भाजपा के साथ ही देश की सियासत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। वैसे बंगाल के साथ ही मई में असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
असम में भाजपा के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है तो राष्ट्रीय स्तर पर अपने सबसे गंभीर संकट के दौर से रूबरू हो रही कांग्रेस सूबे में वापसी के सहारे अपनी मुसीबतें घटाने की कोशिश करेगी। इसी तरह तमिलनाडु में जयललिता के निधन के बाद कमजोर हुई अन्नाद्रमुक के सामने द्रमुक मजबूत दिख रही है। लेकिन सूबे की कुछ क्षेत्रीय पार्टियों और चेहरों के साथ अपने पांव पसारने में जुटी भाजपा की पहल स्टालिन (द्रमुक अध्यक्ष) के लिए नई चुनौती भी है। वामपंथी दलों का अंतिम किला केरल ही बचा है। जबकि अपनी सियासी प्रासंगिकता कायम रखने के लिए कांग्रेस भी केरल की सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगाएगी। वहीं, पुडुचेरी में कांग्रेस के सामने अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है।इन पांच राज्यों के चुनाव पूरा होने के साथ ही देश के अगले आम चुनाव तक हर छह महीने में बड़े चुनावी उत्सवों का दौर शुरू हो जाएगा।
इसके बाद फरवरी- मार्च, 2022 में पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है।