राज्य वेतन समिति की सिफारिश के मुताबिक भत्ता नहीं मिलने से कर्मचारियों में नाराजगी

 लखनऊ। प्रदेश के कर्मचारियों ने नियत यात्रा भत्ता व साइकिल भत्ते के स्थान पर मोटरसाइकिल भत्ता देने की मांग दोहराई है। राज्य वेतन समिति ने दो श्रेणी में वाहन भत्ता देने की सिफारिश भी की थी, लेकिन सरकार ने नहीं माना था। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है।


दरअसल, कर्मचारियों को कार्य क्षेत्र में की जाने वाली यात्राओं के लिए नियत यात्रा भत्ता दिया जाता है। यह वर्तमान में 200 से 600 रुपये तक है। बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जो साइकिल भत्ता पाते हैं। कर्मचारी संगठन लंबे अरसे से शासकीय कार्यों में साइकिल का प्रयोग न के बराबर रहने का हवाला देते हुए मोटरसाइकिल भत्ते की राज्य वेतन समिति ने वाहन भत्ते को मोटर कार/ मोटरसाइकिल / मोपेड व साइकिल के स्थान पर दो श्रेणियों (चार) पहिया वाहन व दो पहिया वाहन ) में वर्गीकरण की सिफारिश की थी। चार पहिया वाहन के लिए 1600 रुपये के स्थान पर 5000 रुपये व दो पहिया वाहन के लिए 2000 रुपये प्रतिमाह वाहन भत्ता के रूप में देने और नियत यात्रा भत्ता में तीन गुना वृद्धि की सिफारिश की थी।


कर्मचारी संगठनों का कहना है कि शासन ने न सिर्फ समिति की संस्तुतियों पर कैंची चलाई, बल्कि वाहनों का वर्गीकरण भी दो श्रेणियों में नहीं किया। काम की अधिकता, तमाम अभियानों का आयोजन, कार्यस्थल के अलावा तहसील, थाने व ब्लॉक पर बढ़ती बैठकें, मंहगाई और अतिरिक्त काम के दबाव से दो पहिया वाहनों का पेट्रोल खर्च बढ़कर 2500 से 3000 रुपये प्रतिमाह तक पहुंच गया है। कर्मचारियों को इसे अपने वेतन से ही वहन करना पड़ रहा है। कर्मचारियों को कहना है कि सरकार को साइकिल भत्ते के स्थान पर मोटरसाइकिल भत्ता देने की सिफारिश पर पुनर्विचार करना चाहिए ।