Showing posts with label info. Show all posts
Showing posts with label info. Show all posts

Wednesday 11 August 2021

प्रारंभिक शिक्षा के मूल ढांचे में सुधार की जरूरत

 आज विभाग के पास प्राथमिक पाठशालाओं में बीएड, एमएड, एम. फिल व पीएचडी अध्यापक भी हैं, जिनके पास प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने का अनुभव भी है। उन्हें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में नए अध्यापकों को तैयार करने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। प्रत्येक पाठशाला में कक्षावार अध्यापक होने के साथ-साथ नर्सरी कक्षाओं के बच्चों के लिए नर्सरी अध्यापकों की नियुक्ति करनी चाहिए…

शिक्षा के अधिकार कानून की हकीकत

 शिक्षा किसी भी सभ्य समाज की मूलभूत आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि शिक्षा से समाज को सभ्य बनाया जा सकता है। शिक्षा समाज के विकास, आर्थिक उन्नति और सार्वभौमिक सम्मान के लिए एक आवश्यक घटक है। हर नागरिक का यह मौलिक अधिकार होना चाहिए कि उसे जीने के अधिकार के रूप में शिक्षा का अधिकार भी हासिल हो।

स्कूली शिक्षा से जुड़ी सरकारी योजनाएं: माता-पिता के लिए आवश्यक जानकारी

 आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है। इक्कीसवीं सदी में समाज के समग्र विकास के लिए एक ऐसी आबादी की आवश्यकता है जो अच्छी तरह से शिक्षित और कौशल, दृष्टिकोण और ज्ञान से सुसज्जित हो। न्यायपूर्ण और समतावादी समाज बनाने में, शिक्षा की प्रमुख भूमिका होती है।

भारत में शिक्षा का विकास

  किसी भी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है। स्वतंत्रता के शुरुआती दिनों से भारत ने हमेशा हमारे देश में साक्षरता दर में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। आज भी सरकार भारत में प्राथमिक और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाती है।

विद्यालय शिक्षा को गुणात्मक बनाना

  चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सरकार सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) की केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से कई स्तरों पर अध्यापकों के नियमित सेवाकालीन प्रशिक्षण, नए भर्ती अध्यापकों के लिये प्रवेश प्रशिक्षण, आईसीटी कोम्पोनेंट पर प्रशिक्षण, विस्तृत शिक्षा, लैंगिक संवेदनशीलता, तथा किशोरावस्था शिक्षा सहित गुणवत्ता सुधार के लिये राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों की मदद करती है।

भारत में शिक्षा गुणवत्ता: चुनौतियाँ और समाधान

  देश में जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ तो 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिये यह मौलिक अधिकार बन गया। इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के लिये केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों का अंबार लगा है तथा ऐसे उपायों की तलाश लगातार जारी रहती है, जिनसे इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकें। मानव संसाधन के विकास का मूल शिक्षा है जो देश के सामाजिक-आर्थिक तंत्र के संतुलन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।