शिक्षक भर्ती में पिछड़ जाएंगे यूपी बोर्ड से पढ़े अभ्यर्थी , भर्ती परीक्षा से हों नियुक्तियां

कानपुर, जागरण संवाददाता : प्रदेश के राजकीय इंटर कालेजों के एलटी वेतनमान के रिक्त पदों पर मेरिट के आधार पर होने जा रही शिक्षकों की भर्तियों में यूपी बोर्ड से पढ़े अभ्यर्थियों का पिछड़ना तय है।
नब्बे के दशक वाले यूपी बोर्ड के अभ्यर्थी तो मेरिट की दौड़ में सिरे से गायब हो जाएंगे। अभ्यर्थी मेरिट के बजाय माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तर्ज पर परीक्षा के माध्यम से नियुक्तियां करने की मांग कर रहे हैं।
शासन ने भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। नियुक्तियां इस बार मंडलवार न होकर प्रदेश स्तर पर होनी हैं। मेरिट में हाई स्कूल, इंटर व स्नातक के साथ प्रशिक्षण डिग्री के प्रायोगिक व लिखित के अंक निर्धारित नियमों से जोड़े जाने हैं। यूपी बोर्ड के कालेजों के लिए नियुक्तियों को लेकर उसी बोर्ड से पढ़े अभ्यर्थी निराश हैं। इतिहास गवाह है कि सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड की मेरिट हमेशा से यूपी बोर्ड से अधिक रही है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक चयन में भी यूपी बोर्ड के अभ्यर्थी हाथ मलते रहे और दूसरे बोर्ड के अभ्यर्थी आगे हो गए थे।
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क्या कहती मेरिट
सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड में तमाम परिवर्तनों के बावजूद 2016 की परीक्षा की मेरिट में यूपी बोर्ड केंद्रीय बोर्ड की मेरिट का मुकाबला नहीं कर सका। 10वीं में आईएसई टॉपर के अंक 99.20 फीसद थे तो यूपी बोर्ड में 98.67 फीसदा। 12वीं की परीक्षा में आईएसई टॉपर 99.50 फीसद पर था तो यूपी बोर्ड का 98.20 फीसद पर। सीबीएसई के मुकाबले यूपी बोर्ड के टॉपर इससे भी अधिक पीछे थे। इसके पहले के पांच सालों में तो यूपी बोर्ड की मेरिट 2016 से भी तीन से छह फीसद तक पीछे थी। इन दोनों बोर्ड में अधिकतर छात्र 85 से 95 फीसद तक अंक आसानी से पा जाते हैं जबकि यूपी बोर्ड में 2016 परीक्षा में सिर्फ 18. 16 फीसद विद्यार्थी विशेष योग्यता के (75 फीसद या इससे अधिक) अंक प्राप्त कर पाए थे। 90 के दशक में परीक्षार्थियों को इससे बहुत कम अंक मिले हैं।
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भर्ती परीक्षा से हों नियुक्तियां
प्रदेश के तमाम अभ्यर्थियों ने पिछले सप्ताह शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करके प्रवक्ता भर्ती की भांति एलटी शिक्षकों की भर्ती भी परीक्षा के आधार पर करने की मांग की थी। चयन बोर्ड पहले से ही परीक्षा के आधार पर भर्तियां कर रहा है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड व झारखंड आदि राज्यों में भी परीक्षा के माध्यम से भर्तियां की जा रही हैं।
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''सभी बोर्ड की परीक्षा, मूल्यांकन व प्राप्तांक अलग अलग हैं। यूपी बोर्ड में हमेशा से कम अंक मिलते रहे हैं इसलिए मेरिट से प्रमाणिक मूल्यांकन नहीं हो पाएगा। यूपी बोर्ड के अभ्यर्थियों को कम अवसर मिलेंगे। परीक्षा के माध्यम से योग्य अभ्यर्थियों का चयन ज्यादा उचित होगा।''
- कृष्णमोहन त्रिपाठी, पूर्व निदेशक माध्यमिक शिक्षा
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