शिक्षामित्रों जो आश्वासन केंद्र व NCTE ने दिया उसके पीछे का सच और क्या है इसका तोड़?

शिक्षामित्रों जो आश्वासन केंद्र व NCTE ने दिया उसके पीछे का सच क्या है ?? और क्या है इसका तोड़?
विगत 2-3 दिनों के घटनाचक्र से हमारे कई सारे साथी लगातार संपर्क कर चिंता व्यक्त कर रहे हैं! जिनका निवारण मैं सार्वजनिक रूप से करने का प्रयास कर रहा हूँ :-
1. शिक्षामित्रों को NCTE से आश्वासन प्राप्त हुवा---

निवारण- उपरोक्त बिंदु को स्पष्ट करने के पूर्व मैं आप सभी का ध्यान RTE एक्ट की सेक्शन 23 व 38 की तरफ आकृष्ट करना चाहूँगा

Section 23(1)- Any person possessing such minimum qualification, as laid down by an academic authority, authorised by the Central govt, by notification , shall be eligible for appointment as teacher.

Section 23(2)- Where the State does not have adequate institution offering courses or training in teacher education, or teacher possessing minimum qualification as laid down under sub-section (1) are not available in sufficient numbers, the Central Govt may, if it deems necessary, by notification, relax the minimum qualifications required for appointment of teachers.

Section 38(3)- Every rule made under this Act and every notification issued under sections 20 and 23 by the Central Government shall be laid, as soon as may be after it is made, before each House of Parliament, while it is in session, for a total period of thirty days which may be comprised in one session or in two or more successive sessions, and if, before the expiry of the session immediately following the session or the successive sessions aforesaid, both Houses agree in making any modification in the rule or notification or both Houses agree that the rule or notification should not be made, the rule or notification shall thereafter have effect only in such modified form or be of no effect, as the case may be; so, however, that any such modification or annulment shall be without prejudice to the validity of anything previously done under that rule or notification.

उपरोक्त सेक्शन 23(1), 23(2) एवं 38(3) से स्पष्ट हैं कि अकादमिक अथॉरिटी NCTE द्वारा शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु निर्धारित न्यूनतम अर्हता में किसी भी प्रकार की शिथिलता प्रदान करने के अधिकार 'केंद्र सरकार' में निहित हैं परन्तु शर्त यह हैं कि
1. निर्धारित न्यूनतम अर्हता (अर्थात बी०एड०/बी०टी०सी० प्रशिक्षित एवं टीईटी उत्तीर्ण) अभ्यर्थी उपलब्ध न हो!

2.निर्धारित न्यूनतम अर्हता में किसी भी प्रकार का संसोधन संसद के दोनों सदनों से पारित होने एवं महा० राष्ट्रपति जी के अनुमोदन के उपरांत ही संभव होगा!

साथ ही साथ भारतीय संविधान और संविधान संरक्षक (मा० सर्वोच्च न्यायालय ) संवैधानिक प्रक्रिया के हिमायती हैं न कि तुष्टीकरण की राजनीति के! मा० उच्च न्यायालय ने शिक्षामित्रों के समायोजन को मुख्यतः संविधान के अनुच्छेद 14, 16 एवं 309 के प्रतिकूल माना हैं! अनुच्छेद 14 व 16 के असर को खत्म करने का सिर्फ और सिर्फ एक उपाय हैं, वह हैं सम्पूर्ण भारतवर्ष में आपातकाल की घोषणा, जो कि संभव नहीं हैं!
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