अगर योगी सरकार परिषदीय विद्यालयों मे वास्तव में सुधार करना चाहती है तो उसे निम्न बिन्दुओं पर विचार करना चाहिए

अगर योगी सरकार परिषदीय विद्यालयों मे वास्तव में सुधार करना चाहती है तो उसे निम्न बिन्दुओं पर विचार करना चाहिए -
1. सर्वप्रथम शिक्षकों को उनके गृह जिलोंं में नियुक्त किया जाए ताकि वे निश्चिन्त होकर शिक्षण कार्य कर सकें।
2. शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए ताकि शिक्षक को भविष्य सुरक्षित दिखाई दे और वह केवल शिक्षण कार्य करें न कि बुढ़ापे की व्यवस्था में अपने मस्तिष्क को व्यस्त रखें।ये न्यायसंगत भी है क्योंकि जब पाँच वर्ष के माननीय सांसद /विधायक इसके योग्य हो सकते हैं तो अपना पूरा जीवन देने वाला शिक्षक क्यों नहीं।
3. प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में 6 अध्यापक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में अनिवार्य रूप से प्रधानाध्यापक सहित 4 अध्यापकों की नियुक्ति की जाए।छात्र संख्या को आधार न बनाया जाए ।
4. सांसद/विधायक और जनप्रतिनिधि ग्रामवासियों को प्रेरित करें कि वे अपने बच्चों को विद्यालय भेजें।
5. गैरमान्यता प्राप्त विद्यालयों को बन्द करवाया जाए ।
6. चुनाव के अतिरिक्त शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए ।
7. पुस्तकें समय पर उपलब्ध करायी जाएँ।
8. मध्याह्न भोजन का उत्तरदायित्व किसी एजेन्सी को दे दिया जाए ।
9. बच्चों को चौकीदार वाले खाकी ड्रेस से मुक्त किया जाए।
10. शिक्षकों को परिचय पत्र उपलब्ध कराए जाएं तथा उनके शिकायतों पर अविलम्ब कार्यवाही की जाए।
11. पोशाक पर प्रतिबंध उचित नहीं । हाँ पोशाक शालीन होने चाहिए ।
12. नये प्राइवेट विद्यालयों को मान्यता न प्रदान किया जाए।
13. जिन विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है वहाँ चहारदीवारी का निर्माण करवायें जिससे कि विद्यालय बन्द होने के पश्चात अराजक तत्व गंदगी न फैला सकें
14. बच्चों को बैठने हेतु फर्नीचर उपलब्ध कराए जाएँ।
15. शिक्षा नीति बनाते समय शिक्षक प्रतिनिधियों की राय को भी महत्व दिया जाए ।
16. प्रत्येक विद्यालय में एक चपरासी की नियुक्ति की जाये जो कि घण्टा लगाने से लेकर विद्यालय की स्वछता का ध्यान रखे साथ ही मध्यान्ह के समय विद्यालय के मुख्य द्वार पर बैठे जिस से विद्यार्थी बाहर न भाग सके
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