आर्थिक संकट के कारण डीएम के सामने फूट-फूटकर रोई शिक्षिका

32 माह से अधिक की नौकरी के बावजूद अध्यापिका को सिर्फ छह माह का मिला वेतन,
करीब 32 माह से अधिक की नौकरी के बावजूद सिर्फ छह माह का वेतन दिया गया। ऐसे में आर्थिक तंगी से
जूझती और विभागीय उदासीनता व हीलाहवाली की मार सहती शिक्षिका आरती सिंह मंगलवार को जब तहसील परिसर में चल रहे संपूर्ण में जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद के सामने पहुंचीं तो उनके सब्र का बांध टूट गया और वह बिलख-बिलखकर रोने लगीं।

उरई, जालौन निवासी वीपी वर्मा की पुत्री आरती सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत उनकी तैनाती राजकीय हाईस्कूल वहिदानगर में गत एक अगस्त 2015 को विज्ञान-गणित शिक्षक के रूप में हुई। तबसे लेकर आज तक वह वेतन के लिए भाग-दौड़ कर रही हैं। कभी सत्यापन रिपोर्ट न आने तो कभी कोई अन्य बहाना बनाकर टाला जाता रहा है। संयुक्त निदेशक के स्तर से वेतन निर्गत करने के आदेश के बाद भी हीलाहवाली का जाती रही। गत 17 अक्टूबर को तहसील दिवस में दिए गए प्रार्थना पत्र के बाद छह माह के वेतन का भुगतान करने के बाद फिर से रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही दो वर्ष के एरियर का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने भी मामले को गंभीरता से लिया। जिला विद्यालय निरीक्षक व वित्त लेखाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) को बुलाकर मामले के त्वरित निस्तारण के लिए निर्देशित किया। बहरहाल देखना यह है कि अब मामला निस्तारित हो पाता है कि नहीं। वैसे इस संबंध में वित्त लेखाधिकारी सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि शिक्षा निदेशक माध्यमिक के निर्देश के क्रम में जांच पूरी न होने तक वेतन आहरण पर रोक लगाई गई है।

अब नहीं लगता कि न्याय मिलेगा : विभागीय अनदेखी के पीड़ित गोपीगंज थाना क्षेत्र के कसिदहां निवासी रामजीत की व्यथा तो और भी दयनीय है। चार महीने में दर्जन भर से अधिक बार संपूर्ण पर अपनी शिकायत से आला अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, फिर भी न्याय के नाम पर उन्हें आश्वासन की घुट्टी ही पिलाई गई है।