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विवाद छोड़े पीछा तो हों शिक्षकों की भर्तियां : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विवाद खत्म होने का नहीं ले रहा नाम
लखनऊ। सूबे मेें मार्च 2012 में अखिलेश सरकार के सत्ता में आने के बाद से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड विवादों में घिरा है। कभी कार्यवाहक अध्यक्ष के कारनामों को लेकर तो कभी सदस्यों को लेकर। नतीजतन बोर्ड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पा रहा है।

मौजूदा समय तीन सदस्यों के योग्यता को लेकर मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के चलते शासन ने भर्ती प्रक्रिया रोक रखी है।

माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का अधिकार चयन बोर्ड के पास है। इन्हीं इंटर कॉलेजों के संबद्ध प्राइमरी में स्कूल मैनेजमेंट शिक्षकों की भर्तियां करता है। बोर्ड को प्रधानाचार्य के 1554, प्रवक्ता के 1147 व प्रशिक्षित शिक्षक के 6028 पदों पर भर्तियां करनी हैं लेकिन विवादों के चलते भर्तियां पूरी नहीं हो पा रही हैं।

बोर्ड सदस्यों पर फंसा पेंच

बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा कुल 10 सदस्य होते हैं। इसमें से दो सदस्य माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर निदेशक स्तर के अधिकारियों को बनाया जाता है। चाहे यह सेवा में हों या रिटायर हो चुके हों। इसके अलावा आठ सदस्य शिक्षक समुदाय से बनाए जाते हैं। चयन बोर्ड में मौजूदा समय में छह सदस्य हैं। डॉ. आशा लता सिंह, योगेंद्र बेचैन प्रजापति, अनीता यादव, डॉ. मोहम्मद उमर, विनय कुमार रावत व ललित कुमार श्रीवास्तव। हाईकोर्ट ने इसमें से तीन सदस्यों आशा लता सिंह, अनीता यादव व ललित कुमार श्रीवास्तव के काम करने पर रोक लगा रखा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद

अखिलेश सरकार ने सत्ता में आने के बाद डॉ. देवकी नंदन शर्मा को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। चयन बोर्ड के कामों को वह बेहतर ढंग से संचालित कर रहे थे कि बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। इसके बाद वरिष्ठ सदस्य आशाराम को बोर्ड का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। आशाराम के समय से ही बोर्ड विवादों में घिर गया। इनके कार्यकाल के दौरान प्रधानाचार्य पद पर होने वाले साक्षात्कार में मनमानी पर तत्कालीन सचिव नीना श्रीवास्तव से टकराहट शुरू हो गई। मामला इतना बढ़ा कि राज्य सरकार पर सीधे अंगुलियां उठने लगीं। सरकार के नुमाइंदों को विधानसभा में स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. परशुराम पाल को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उन्होंने कुछ महीने के बाद ही व्यक्तिगत कारण बताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। फिर वरिष्ठ सदस्य अनीता यादव को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाते ही चयन बोर्ड विवादों में घिरने लगा, इसी बीच डॉ. सनील कुमार को अध्यक्ष बनाया गया।

चयन बोर्ड में कोरम पूरा न होने की वजह से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है। शासन को पत्र लिखा गया है कि मौजूदा सदस्यों के आधार पर ही कोरम की व्यवस्था की जाए, जिससे भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके।

-डॉ. सनील कुमार, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड
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