शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं तीन
सदस्यों को हटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील न करके नई
नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। चयन के लिए मुख्य सचिव की
अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन की तैयारी चल रही है।
सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट के फैसले पर गहन मंथन और न्याय विभाग की राय प्राप्त करने के बाद विभाग ने यह निर्णय लिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आयोग के अध्यक्ष पद पर सेवानिवृत्त आईएएस लाल बिहारी पांडेय और सदस्य के तीन पदों पर डॉ. रामवीर यादव, डॉ. रुदल यादव व डॉ. एके सिंह की नियुक्ति के आदेश को इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि वे इन पदों के लिए अपेक्षित अर्हता नहीं रखते। लाल बिहारी पांडेय विशेष सचिव रैंक से सेवानिवृत्त हुए थे जबकि प्रावधान के अनुसार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए सचिव रैंक से सेवानिवृत्त होना चाहिए। इसी तरह तीनों सदस्य महाविद्यालयों के शिक्षक हैं। उनके पास अध्यापन के अनुभव के अलावा कोई विशेष योग्यता नहीं थी। हाईकोर्ट के फैसले का क्रियान्वयन करने के बाद शासन अध्यक्ष व सदस्य के तीनों पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी। इन सभी पदों पर नियुक्ति के बाद ही आयोग में विधिवत् कामकाज शुरू हो सकेगा। इस समय आयोग में एकमात्र सदस्य बचे हैं। सचिव की योग्यता को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका विचाराधीन है। प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (प्रवक्ता) के 1652 पदों पर नियुक्ति के बारे में भी तभी निर्णय हो पाएगा। नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा तो कराई जा चुकी है लेकिन परीक्षा परिणाम अभी घोषित नहीं है। शासन की मंशा है कि इस मामले में कोई भी निर्णय आयोग की ओर से ही लिया जाए।
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सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट के फैसले पर गहन मंथन और न्याय विभाग की राय प्राप्त करने के बाद विभाग ने यह निर्णय लिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आयोग के अध्यक्ष पद पर सेवानिवृत्त आईएएस लाल बिहारी पांडेय और सदस्य के तीन पदों पर डॉ. रामवीर यादव, डॉ. रुदल यादव व डॉ. एके सिंह की नियुक्ति के आदेश को इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि वे इन पदों के लिए अपेक्षित अर्हता नहीं रखते। लाल बिहारी पांडेय विशेष सचिव रैंक से सेवानिवृत्त हुए थे जबकि प्रावधान के अनुसार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए सचिव रैंक से सेवानिवृत्त होना चाहिए। इसी तरह तीनों सदस्य महाविद्यालयों के शिक्षक हैं। उनके पास अध्यापन के अनुभव के अलावा कोई विशेष योग्यता नहीं थी। हाईकोर्ट के फैसले का क्रियान्वयन करने के बाद शासन अध्यक्ष व सदस्य के तीनों पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी। इन सभी पदों पर नियुक्ति के बाद ही आयोग में विधिवत् कामकाज शुरू हो सकेगा। इस समय आयोग में एकमात्र सदस्य बचे हैं। सचिव की योग्यता को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका विचाराधीन है। प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (प्रवक्ता) के 1652 पदों पर नियुक्ति के बारे में भी तभी निर्णय हो पाएगा। नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा तो कराई जा चुकी है लेकिन परीक्षा परिणाम अभी घोषित नहीं है। शासन की मंशा है कि इस मामले में कोई भी निर्णय आयोग की ओर से ही लिया जाए।
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