धरना प्रदर्शन - Day 4 - तीन दिन के अन्दर ही शासन मौलिक नियुक्ति की मांग मानने को विबश हुआ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

मौलिक नियुक्ति का आदेश जारी होने के अवसर पर सभी प्रशिक्षुओं को बहुत बहुत बधाई साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद् इलाहाबाद पर धरना प्रदर्शन में शामिल होने बाले सभी साथियों को कोटिशः धन्यवाद, आप सभी के द्वारा बढ़चढ़ कर प्रतिभाग करने के कारण ही तीन दिन के अन्दर ही शासन हमारी मौलिक नियुक्ति की मांग मानने को विबश हुआ है. साथियो मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही पूरा करने के लिए जो 25 दिन की समय सीमा दी गयी है
उससे हमारे कुछ साथी संतुष्ट नहीं हैं और अभी भी धरना जारी रखकर मौलिक नियुक्ति की समय सीमा कम कराने का प्रयास कर रहे है, जिस पर अभी आम राय बनाना जरुरी है.
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साथियो मैं जरुरी काम से कल सुबह ही मैनपुरी पहुँचा हूँ और और इलाहाबाद में मौजूद हमारे साथी आम प्रशिक्षुओं के साथ विचार विमर्श कर तय करेंगे कि धरना जारी रखा जाये या नहीं........!! मेरा भी व्यक्तिगत विचार है कि मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही हेतु 25 दिन का समय अधिक है लेकिन हमें ये भी ध्यान में रखना होगा कि इन 25 दिनों में लगभग 10 दिनों की छुट्टियाँ रहेंगी और मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही हेतु BSA कार्यालय को 15 से 17 कार्यकारी दिवस ही मिलेंगे अतः 25 दिनों में मौलिक नियुक्ति का आदेश उचित ही प्रतीत होता है और अगला प्रयास BSA कार्यालय पर दबाव बनाकर जल्द से जल्द विज्ञप्ति निकलवाकर मौलिक नियुक्ति के लिए दवाव बनाना सही होगा, फिर भी मैं चाहूँगा कि आज इलाहाबाद में उपस्थित नेत्रत्वकर्ता और आम प्रशिक्षु मिलकर तय करे कि धरना जारी रहेगा या नहीं या BSA पर सामूहिक दबाव बनाकर शीघ्र मौलिक नियुक्ति का प्रयास किया जाये......, जैसा कि मैंने आपको बताया है कि मैं आज इलाहाबाद में मौजूद नहीं हूँ अतः जो भी उचित निर्णय इलाहाबाद में उपस्थित साथी लेंगे, मैं एक सक्रीय सहयोगी होने के नाते उसका पालन करूँगा और अगर धरना जारी रहता है तो कल से इलाहाबाद में उपस्थित रहूँगा.
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साथियो जिस कार्य योजना को हम सभी साथियों.... यथा स्वयम मैं, सुजीत भाई, सदानंद भाई, अवनीश भाई, एस. के. पाठक भाई, संतोष प्रजापति भाई, अनिल वर्मा भाई, मो० अली भाई, रामबाबू भाई, उमाशंकर भाई, प्रभाकर भाई, प्रदीप भाई आदि एवं 11 की मीटिंग में उपस्थित सभी प्रशिक्षुओं ने, बनाया था वो सफल रही, सभी साथियो को तहेदिल से शुक्रिया. जबकि कुछ स्वयम्भू नेताओं ने इसे असफल बनाने का भरसक प्रयास किया किन्तु वो अपनी कुत्सित चालों में असफल रहे और सफलता हमारे क़दमों में है.
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साथियो इलाहाबाद में आन्दोलन करना एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था, क्योंकि सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद् की तुलना में लखनऊ में प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा का घेराव करना मुश्किल था क्योंकि लखनऊ सचिवालय या विधान सभा पर प्रशासनिक व्यवस्था बनाये रखने हेतु एक निश्चित सीमा में पुलिस बाल आरक्षित होता है और पुलिस बल प्रयोग की आशंका अधिक थी जबकि इलाहाबाद के बेसिक शिक्षा परिषद् कार्यालय पर ऐसा नहीं, साथ ही इलाहाबाद में आन्दोलन से सम्बंधित व्यवस्था के लिए एक समन्वित टीम थी जो कि सभी काम बिना नेतागीरी किये हुए कार्य कर रही थी और पूरी भीड़ एक व्यबस्थित तरीके से धरना प्रदर्शन में शामिल रही.
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जय हिन्द, जय टेट मेरिट.

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