जौनपुर : डेढ़ दशक से नियमित होने के लिए सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहे
थे। अब शासनादेश जारी हुआ तो विद्यालयों से पत्रावली ही नहीं आ रही है।
कहीं प्रबंधकों की धन उगाही के चलते तो कहीं नियुक्ति में खामी के कारण
गतिरोध आ रहा है।
विभाग प्रबंधकों पर शिकंजा करने की तैयारी कर रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद निदेशक ने बैठक में हीला-हवाली करने वालों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है।
सूबे में ऐसे शिक्षकों को विनियमित करने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक 15 साल से अनवरत संघर्ष करते आ रहे थे। लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया जाता था। लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने 22 मार्च 2016 को शासनादेश जारी कर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने का शासनादेश जारी कर दिया। आदेश जारी हुई आठ माह बीत गए लेकिन अभी तक जनपद से महज 14 पत्रावली मंडलीय कार्यालय को भेजी जा सकी है।
सूत्रों के अनुसार बार-बार आदेश के बाद भी फाइल न भेजने के पीछे कई कारण हैं। कुछ विद्यालयों के प्रबंधक फाइल भेजने के लिए जहां लंबी डिमांड कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो नियुक्ति में खामी बताते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दे रहे हैं। विभाग भी धारा 18 के तहत जनपदीय व मंडलीय समिति द्वारा की गई नियुक्ति को ही सही मान रहा है।
आदेश जारी होने के बाद भी पत्रावली न देने वाले विद्यालयों पर कार्रवाई की तैयारी माध्यमिक शिक्षा विभाग कर रहा है। लखनऊ में 26 नवंबर को हुई मंडलीय समीक्षा बैठक में शिक्षा निदेशक ने प्रबंध समिति के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है।
शासनादेश जारी होने के बाद भी मंडलीय समिति द्वारा एक भी शिक्षक को विनियमित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। विभागीय लापरवाही के विरोध में 30 नवंबर को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
रमेश ¨सह
प्रदेश मंत्री
माध्यमिक शिक्षक संघ
जनपदीय व मंडलीय समिति द्वारा धारा 18 के तहत नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। इसके तहत आने वाले 14 शिक्षकों की फाइल प्रेषित कर दी गई है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर वेतन भुगतान प्राप्त करने वाले तदर्थ शिक्षकों के प्रबंधकों को शीघ्र पत्रावली भेजने हेतु नोटिस जारी की गई। इसके बाद भी हीला-हवाली किए तो धारा 60 डी के तहत कार्रवाई होगी।
भाष्कर मिश्र
जिला विद्यालय निरीक्षक
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विभाग प्रबंधकों पर शिकंजा करने की तैयारी कर रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद निदेशक ने बैठक में हीला-हवाली करने वालों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है।
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सूबे में ऐसे शिक्षकों को विनियमित करने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक 15 साल से अनवरत संघर्ष करते आ रहे थे। लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया जाता था। लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने 22 मार्च 2016 को शासनादेश जारी कर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने का शासनादेश जारी कर दिया। आदेश जारी हुई आठ माह बीत गए लेकिन अभी तक जनपद से महज 14 पत्रावली मंडलीय कार्यालय को भेजी जा सकी है।
सूत्रों के अनुसार बार-बार आदेश के बाद भी फाइल न भेजने के पीछे कई कारण हैं। कुछ विद्यालयों के प्रबंधक फाइल भेजने के लिए जहां लंबी डिमांड कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो नियुक्ति में खामी बताते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दे रहे हैं। विभाग भी धारा 18 के तहत जनपदीय व मंडलीय समिति द्वारा की गई नियुक्ति को ही सही मान रहा है।
आदेश जारी होने के बाद भी पत्रावली न देने वाले विद्यालयों पर कार्रवाई की तैयारी माध्यमिक शिक्षा विभाग कर रहा है। लखनऊ में 26 नवंबर को हुई मंडलीय समीक्षा बैठक में शिक्षा निदेशक ने प्रबंध समिति के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है।
शासनादेश जारी होने के बाद भी मंडलीय समिति द्वारा एक भी शिक्षक को विनियमित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। विभागीय लापरवाही के विरोध में 30 नवंबर को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
रमेश ¨सह
प्रदेश मंत्री
माध्यमिक शिक्षक संघ
जनपदीय व मंडलीय समिति द्वारा धारा 18 के तहत नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। इसके तहत आने वाले 14 शिक्षकों की फाइल प्रेषित कर दी गई है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर वेतन भुगतान प्राप्त करने वाले तदर्थ शिक्षकों के प्रबंधकों को शीघ्र पत्रावली भेजने हेतु नोटिस जारी की गई। इसके बाद भी हीला-हवाली किए तो धारा 60 डी के तहत कार्रवाई होगी।
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