कानपुर, जागरण संवाददाता : प्राइमरी से लेकर माध्यमिक स्कूलों में
पढ़ाने वाले शिक्षक अब एक ही कोर्स से तैयार हो सकेंगे। माध्यमिक स्कूलों
में पढ़ाने के लिए बीएड व प्राइमरी में पढ़ाने के लिए बीटीसी का कोर्स नहीं
करना होगा।
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को एनसीटीई के मेंबर सेक्रेट्री संजय अवस्थी से मुलाकात की। एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान मेंबर सेक्रेट्री ने बताया कि पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। स्कूल स्तर पर शिक्षक बनने के लिए एक ऐसा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम होना चाहिए जिसमें वे किसी भी कक्षा के छात्रों को पढ़ाने योग्य बन सकें। इसके अलावा सत्र 2017-18 से बीएड व बीटीसी के पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। अगले सत्र से पाठ्यक्रम बदल जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में मथुरा से दीपक गोयल, आगरा से मनमोहन चावला, बनारस से राजेंद्र प्रताप, गाजियाबाद से निर्मल सिंह व गोरखपुर से सुधीर राय शामिल थे।
50 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म की जाए :
प्रतिनिधिमंडल ने एनसीटीई के मेंबर सेक्रेट्री संजय अवस्थी से बीएड में प्रवेश के लिए स्नातक में 50 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म करने का निवेदन भी किया। इसका कारण प्रदेश में संचालित बीएड कॉलेजों में बहुत कम प्रवेश हो पाए हैं। प्रदेश में संचालित 1500 कॉलेजों की एक लाख 90 हजार सीटें हैं जिनमें 50 फीसद सीटें खाली पड़ी हुई हैं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल विनय त्रिवेदी ने बताया कि बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एक ही योग्यता किए जाने की मांग भी की गई। क्योंकि किसी विश्वविद्यालय में पीएचडी तो किसी में नेट धारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है।
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उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को एनसीटीई के मेंबर सेक्रेट्री संजय अवस्थी से मुलाकात की। एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान मेंबर सेक्रेट्री ने बताया कि पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। स्कूल स्तर पर शिक्षक बनने के लिए एक ऐसा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम होना चाहिए जिसमें वे किसी भी कक्षा के छात्रों को पढ़ाने योग्य बन सकें। इसके अलावा सत्र 2017-18 से बीएड व बीटीसी के पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। अगले सत्र से पाठ्यक्रम बदल जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में मथुरा से दीपक गोयल, आगरा से मनमोहन चावला, बनारस से राजेंद्र प्रताप, गाजियाबाद से निर्मल सिंह व गोरखपुर से सुधीर राय शामिल थे।
50 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म की जाए :
प्रतिनिधिमंडल ने एनसीटीई के मेंबर सेक्रेट्री संजय अवस्थी से बीएड में प्रवेश के लिए स्नातक में 50 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म करने का निवेदन भी किया। इसका कारण प्रदेश में संचालित बीएड कॉलेजों में बहुत कम प्रवेश हो पाए हैं। प्रदेश में संचालित 1500 कॉलेजों की एक लाख 90 हजार सीटें हैं जिनमें 50 फीसद सीटें खाली पड़ी हुई हैं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल विनय त्रिवेदी ने बताया कि बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एक ही योग्यता किए जाने की मांग भी की गई। क्योंकि किसी विश्वविद्यालय में पीएचडी तो किसी में नेट धारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है।
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