सर्वप्रथम मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप' द्वारा ही ये जानकारी शिक्षक समाज को दी गयी थी कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों भौतिक और मानवीय संसाधनों अर्थात मूलभूत सुविधाओं और शिक्षकों के सन्दर्भ में सुनवाई गतिमान है।
मिशन द्वारा आप को पिछली सुनवाइयों के विश्वसनीय विवरण के साथ ही शिक्षामित्रों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की जा चुकी है। अवमानना याचिका की प्रकृति और पूर्व में हुई मूल जनहित याचिका का सन्दर्भ भी दिया गया था।
अवमानना याचिका 82/2016 पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना है कि यूपी के बेसिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है जबकि राज्य अपने हलफनामे में सभी सुविधाएं पूर्ण दर्शा रहा है। हालांकि अभी बात मानवीय संसाधनों की नहीं हुई है लेकिन देर सवेर इस का संज्ञान भी कोर्ट लेगा ही। और इसके साथ ही शक्षामित्रों की ओर विपक्षी ध्यान आकृष्ट अवश्य करेगा। ऐसी स्थिति में मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने इसका जवाब देने की मज़बूत और फुलप्रूफ तैयारी कर रखी है। मिशन की ओर से भी इस मामले में अपनी बात रखी जायेगी। इस संदर्भ में मिशन की ओर से पूर्व में इसी मामले में जनहित याचिका दायर कर चुके वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोंसाल्विस अपना मज़बूत और अकाट्य पक्ष रखेंगे।
*मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप जागरूक और विधिक जानकार शिक्षामित्रों का समूह है। आम शिक्षामित्र अपने अधिकार के लिए अपने "मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप" के साथ लड़ रहा है, और अपनी आजीविका और मान सम्मान बचाने के लिए कृतसंकल्प है।*
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
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अवमानना याचिका 82/2016 पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना है कि यूपी के बेसिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है जबकि राज्य अपने हलफनामे में सभी सुविधाएं पूर्ण दर्शा रहा है। हालांकि अभी बात मानवीय संसाधनों की नहीं हुई है लेकिन देर सवेर इस का संज्ञान भी कोर्ट लेगा ही। और इसके साथ ही शक्षामित्रों की ओर विपक्षी ध्यान आकृष्ट अवश्य करेगा। ऐसी स्थिति में मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने इसका जवाब देने की मज़बूत और फुलप्रूफ तैयारी कर रखी है। मिशन की ओर से भी इस मामले में अपनी बात रखी जायेगी। इस संदर्भ में मिशन की ओर से पूर्व में इसी मामले में जनहित याचिका दायर कर चुके वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोंसाल्विस अपना मज़बूत और अकाट्य पक्ष रखेंगे।
*मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप जागरूक और विधिक जानकार शिक्षामित्रों का समूह है। आम शिक्षामित्र अपने अधिकार के लिए अपने "मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप" के साथ लड़ रहा है, और अपनी आजीविका और मान सम्मान बचाने के लिए कृतसंकल्प है।*
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