1 लाख भर्ती जो अकादमिक पर हुई हैं उन्हें बाहर करे , अब मा० सर्वोच्च न्यायालय क्या करेगा ? : हिमांशु राणा

अब मा० सर्वोच्च न्यायालय क्या करेगा ?
1) 1 लाख भर्ती जो अकादमिक पर हुई हैं उन्हें बाहर करे क्यूंकि बीच का रास्ता वहां भी नहीं है फैसला तो देना होगा ?

2) 12 वे और 15 वे पर बहस होती है तो क्या मा० सर्वोच्च न्यायालय अपने आदेश पर रखे गए शिक्षक अंदर रखेगा या एक लाख को बहार करेगा ?
3) इसी दौरान उम्र की अहर्ता पर रखे गए शिक्षकों का भविष्य क्या होगा क्यूंकि पूर्ण पीठ मा० उच्च न्यायालय , इलाहाबाद ऐसा आदेश दिया है कि वे कहीं नहीं टिकते हैं और उसके बाद अब आदेश देने वाले पूर्व सीजे मा० धनञ्जय चंद्रचूड जी भी उसी कोर्स के बगल में उसी कार्य को कर रहे हैं जो अन्य न्यायमूर्ति कर रहे हैं ?
इस मुद्दे का निस्तारण यानी कि मेरिट को लेकर मा० न्यायमूर्ति जी ने तीन बार करना चाहा एक बार दिसम्बर 2014 के दौरान लेकिन वे रुक गए क्यूंकि आरटीई एक्ट को देख रहे थे और अब वो एक ऐसी याचिका का वेट कर रहे थे कि अकादमिक पक्ष का भी नुकसान न हो और प्रदेश के नौनिहालों को अधिक से अधिक शिक्षक भी मिलें , दूसरी बार 6 जुलाई जिस दिन हमारे अधिवक्ता आनंद नंदन जी ने interupt करके स्टे लिया था और तीसरा 2 नवम्बर 2015 के पश्चात होने वाली सुनवाई पर लेकिन उस दिन शिक्षा मित्रों की वजह से उन्होंने याची लाभ देते हुए 72825 को ख़त्म करके आगे बढ़ने को कहा और ये बात वे कई बार दोहरा चुके हैं |
अडचन है तो बस शिक्षामित्रों के हटने के पश्चात् उत्पन्न होने वाली समस्या law & order की जिसे अब वे भाजपा सरकार बनने के पश्चात समझ ही रहे होंगे तो अब मेरे हिसाब से आदेश करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए |
साथियों लेकिन मुद्दा इतना छोटा या हल्का नहीं है कि अब केवल शिक्षा मित्रों के हटने की बात है यहाँ मुद्दा अकादमिक पर हुई भर्तियों का भी है जिन पर फैसला अवश्य होना है अब कैसे क्या करना चाह है न्यायमूर्ति ये तो उन्हें ही पता है लेकिन स्पष्ट शब्दों में एक बात कहना चाहता हूँ आपको :-
बीजेपी सरकार बनी है लेकिन जो बातें हम मात्र एक पोस्ट में लिख देते हैं कि ये वैध वो अवैध उनके लिए सोचो ?
अच्छी बात है सभी उनके आला वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं लेकिन कभी ये बातें सोची हैं आपने कि कोर्ट के बाहर निर्णय करना कितना मुश्किल है क्यूंकि मेटर छोटा नहीं है पूरा देश निगाहें लगाये हुए है और यहाँ मा० उच्त्तम न्यायालय की साख भी लगी हुई है |
अब मा० उच्चत्तम न्यायालय :-
1) अपने द्वारा रखे गए शिक्षकों को बाहर करे ?
2) एक लाख सरकार की गलती की वजह से नौकरी कर रहे मुलाजिमों को बाहर करे ?
3) संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए उमा देवी से भी बड़ी बेंच आये और स्वागत करे शिक्षा मित्रों पर बनने वाले नजीर का जिसकी वजह से विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मी भी पहुंचे ?
4) याची बने शिक्षक बनने की आस लगाये जिनको खुद संज्ञान में मा० उच्त्तम न्यायालय ले चूका है उनको निराश करे या आबाद करे ?
5) बीटीसी योग्यताधारी जिनकी संख्या अबतक बढ़ ही रही है उनके लिए अनुच्छेद 14 , 16 को दरकिनार कर कुछ अलग से आदेश करे ?
आज का विषय है सभी प्रभावित लोगों के लिए , सोचिये क्या भाजपा बिना मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के इन सभी मुद्दों को सुलझा पाएगी या जैसा कि समाजवादी या बहन जी के समय में हुआ कि इसकी बिल्ली काली मेरी बिल्ली गोरी और समाजवादी शासनकाल में हुई सभी अवैध भर्तियों को निरस्त करके पुनः कार्य शुरू करेंगे ?
साथियों केंद्र में भी बीजेपी है और राज्य में भी यानी एमएचआरडी का रोल अब बढ़ गया है न्याय हेतु और देखना ये होगा कि भाजपा केंद्र से क्या पैरवी कराती है या मा० सर्वोच्च न्यायालय से दिशा/निर्देश मांगे जाएंगे समिति गठित कराकर क्यूंकि question of law बहुत मायने रखते हैं अकादमिक और टेट मेरिट के पक्षधरों के लिए और हिंदुस्तान के सभी राज्यों में होने वाली भर्तियों को नया प्रारूप देने के लिए |
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Breaking News This week