मुख्य विवादित बिंदु : शिक्षामित्रों , 15वें व 16वें संशोधन से हुयी भर्तियों के संदर्भ में : NCTE ACT & RTE ACT पर एक नजर

1. वर्ष १९९३ में संसद द्वारा NCTE एक्ट पारित किया गया, जो 1 जुलाई 1995 से लागू हुवा!|
 एक्ट का मुख्य उद्देश्य इसके प्रस्तावना से स्पष्ट होता हैं, जिसमें अंकित हैं कि, इस परिषद् (काउन्सिल) की स्थापना "शिक्षक प्रशिक्षण को मानिटर और रेगुलेट" करने के लिए की गयी हैं!
इसके साथ ही साथ एक्ट के सेक्शन 12(D) में "स्कूलों अथवा संस्थानों" में शिक्षक नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षिक अर्हता निर्धारित करते हुए "गाइडलाइन" जारी करने का प्राविधान किया गया!

2. वर्ष 2001 में प्रथम बार NCTE ने स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षिक अर्हता निर्धारित करते हुए "रेगुलेशन" प्रकाशित किया!

3. वर्ष 2008 में सुप्रीमकोर्ट में जस्टिस काटजू की अध्यक्षता वाली द्विसदस्यीय पीठ ने NCTE ACT-१९९३ के सेक्शन 12(D) में अंकित "स्कूल अथवा संस्था" शब्द को, NCTE ACT-१९९३ के सेक्शन 2(2) में परिभाषित "संस्था" शब्द के आधार पर बताया कि एक्ट में संस्था का मतलब "शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से हैं न कि प्राथमिक स्कूलों से हैं, अतः 12(D) के तहत सिर्फ शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षक नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षिक अर्हता निर्धारित की जा सकती हैं न कि प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों हेतु! उक्त आदेश को सुप्रीमकोर्ट के ही ट्रिपल बेंच में ले जाया गया, और केस के पेंडिंग रहने के दौरान ही 12 अक्टूबर २०११ को NCTE एक्ट-2011 में संशोधन पारित कर सेक्शन 12(A) जोड़ा गया! जिसके माध्यम से NCTE को प्राथमिक विद्यालयों से लेकर इंटरमीडिएट विद्यालयों तक के शिक्षकों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम शैक्षिक अर्हता निर्धारित करते हुए "रेगुलेशन और गाइडलाइन" जारी करने का वैधानिक अधिकार प्रदान किया गया! साथ ही साथ अभी तक सरकारी आदेश, नियमावली से "नियुक्त शिक्षकों" को आगे से निर्धारित होने वाले "न्यूनतम अर्हता" धारण करने से छूट प्रदान की हैं! =============================

4. दि० 26 अगस्त २००९ को RTE ACT को प्रकाशित किया गया, जिसे 1 अप्रैल 2010 से लागू होना था! एक्ट के सेक्शन 23(1) सेंट्रल गवर्नमेंट को शक्तिप्रदान करती हैं कि वो "नोटिफिकेशन" के द्वारा शिक्षक नियुक्ति हेतु "न्यूनतम अर्हता" निर्धारक "एकेडेमिक अथॉरिटी" प्राधिकृत करेगी! साथ ही साथ एक्ट के सेक्शन 38(3) के अनुसार सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा जारी सभी "नोटिफिकेशन" को जल्द से जल्द इसे संसद के दोनों सदनों के सामने रखकर एप्प्रोव कराएगी, विशेषकर सेक्शन 20 और सेक्शन २३ के तहत जारी नोटिफिकेशन को!

5. दि० 31 मार्च 2010 को, सेंट्रल गवर्नमेंट ने सेक्शन 23(1) के तहत नोटिफिकेशन इशू कर NCTE को एकेडेमिक ऑथरिटी का दर्जा दिया!

6. दि० 23 अगस्त 2010, NCTE (जिसे अब शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को रेगुलेट करने के साथ ही साथ RTE एक्ट के सेक्शन 23(1) के तहत एकेडेमिक अथॉरिटी का दर्जा मिल चुका हैं) ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति हेतु "न्यूनतम अर्हता" का प्रथम नोटिफिकेशन जारी किया! जिसे 29 जुलाई २०११ को संशोधित किया गया!

7. २३ अगस्त के नोटिफिकेशन में TET का प्राविधान किया गया, जिसे 11 फरवरी २०११ को, NCTE ने गाइडलाइन इशू कर, TET की विस्तृत व्याख्या की! साथ ही साथ गाइडलाइन के पैरा 9 में (a) टेट मिनिमम क्वालीफाइंग मार्क 60%(रिजर्व के लिए छूट, स्टेट जितना चाहे), (b) भर्ती प्रक्रिया में टेट अंकों के भारांक की बात अंकित की! =======================

मुख्य विवादित बिंदु :-

A. (शिक्षामित्रों के संदर्भ में तर्क)-

१. RTE एक्ट 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी होना था, फिर उससे एक दिन पूर्व ही सेंट्रल गवर्नमेंट एक्ट के सेक्शन(23) का उपयोग किस प्रकार कर ली?

२. 31 मार्च 2010 को जारी यह नोटिफिकेशन, एक्ट के ही सेक्शन 38(3) के अनुसार न तो निर्धारित टाइम पीरियड में और न ही आज तक संसद के दोनों सदनों के समक्ष नहीं रखा गया, अर्थात यह नोटिफिकेशन ही सेक्शन 38(3) के अनुसार अवैध कहा जा सकता हैं, और यदि यह अवैध माना गया तो फिर 23 अगस्त 2010 नोटिफिकेशन व् 11 फरवरी २०११ गाइडलाइन भी अवैध होगा!)

३. NCTE (AMENDMENT) ACT-2011 के सेक्शन 12(A) के तहत इस अमेंडमेंट से पहले सरकारी आदेश, नियमावली से नियुक्त शिक्षकों को आगे से निर्धारित शैक्षिक अर्हता धारण करने से छूट प्रदान की गयी हैं! शिक्षामित्रों का दावा हैं कि वो सरकारी आदेश दि० 26 मई 1999 व 1 जुलाई 2001 से नियुक्त पैरा शिक्षक हैं!

B. (15वें व 16वें संशोधन से हुयी भर्तियों के संदर्भ में तर्क )-

१. उपरोक्त दोनों बिंदु (यद्यपि अभी तक चेलेंज नहीं)

२. RTE एक्ट के सेक्शन 23(1) के तहत NCTE को मिनिमम क्वालिफिकेशन निर्धारित करने का प्रभार मिला था, फिर NCTE का 11 फरवरी २०११ वाले गाइडलाइन का पैरा 9(B) [SHOULD GIVE WEIGHTAGE OF TET SCORE IN RECRUITMENT PROCESS], राज्य के "चयन नियम निर्धारण करने के अधिकार" में हस्तक्षेप कैसे कर सकता हैं? क्या NCTE को यह अधिकार प्राप्त हैं अथवा नहीं? यद्यपि यह गाइडलाइन यदि केंद्र द्वारा जारी किया जाता तो राज्य के लिए बाध्यकारी होता! ====================

NCTE पक्ष:- NCTE फ़िलहाल असहज स्थिति में हैं, कुछ कमियों के कारण किसी भी बिंदु पर स्पस्ट बोलने में असहज महसूस कर रही हैं! ====================

परिणाम:- मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की प्रतीक्षा करें! धन्यवाद् _____आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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