UPPSC: जांच का दिया फरमान नतीजे का इत्मीनान, सरकार ने लगाई कार्रवाई की हैटिक

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की चार बरस पुरानी मांग भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के चार माह के भीतर ही पूरी कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च माह में जिस जांच के संकेत चुनावी जनसभा में दिए थे,
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसकी घोषणा सदन में कर दी है।
जांच आदेश से प्रतियोगियों में खुशी की लहर है, इसकी वजह उन्हें पूरा इत्मीनान है कि आयोग ने चयन व रिजल्ट जारी करने में इतनी गड़बड़ियां की हैं कि आयोग ही नहीं पूर्व की सरकार में बैठे कई ‘बड़ों’ तक जांच पहुंचेगी। 1सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद से भाजपा सरकार के निशाने पर उप्र लोकसेवा आयोग रहा है। शपथ ग्रहण के चौथे दिन ही अप्रत्याशित तरीके से आयोग में इंटरव्यू व परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगाई गई, यह आयोग के इतिहास में अनूठी घटना रही है, क्योंकि इसके पहले किसी सरकार ने इस तरह से सांविधानिक संस्था की घेराबंदी नहीं की थी। उसी समय से जांच की अटकलें लगना शुरू हुई। सरकार आयोग को भंग नहीं कर सकती, इसलिए पहले यहां गड़बड़ियों की बारीकी से पड़ताल हुई। शासन ने आयोग अध्यक्ष व सचिव को कई बार तलब करके तमाम जानकारियां हासिल की और पांच साल के रिकॉर्ड हासिल किये। इसी बीच सरकार ने आयोग का ऑडिट भी कराया। आयोग अध्यक्ष ने जो रिकॉर्ड सौंपे उसकी विशेषज्ञों ने छानबीन की और उनमें खामियां दिखी हैं, तभी मुख्यमंत्री ने सदन में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘कॉपियां जलाने से गड़बड़ियों के निशान मिटे नहीं है, जिन्होंने युवाओं के साथ अन्याय किया है वह दंडित होंगे।’
सरकार ने लगाई कार्रवाई की हैटिक : योगी सरकार ने आयोग पर शिकंजा कसने की हैटिक लगा दी है। एक के बाद एक तीन कार्रवाईयों में प्रतियोगियों का ही मुख्य रूप से ध्यान रखा गया। पहले इंटरव्यू व रिजल्ट जारी करने पर रोक लगी, फिर सीसैट प्रभावित अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर देने को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसमें पहले चरण के लिए प्रभावित अभ्यर्थियों से आवेदन लिए जा चुके हैं। अब तीसरी मांग सीबीआइ से जांच कराने का एलान करके पूरा किया गया है।
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