चयन योग्यता का: सरकारी नौकरियों को भ्रष्टाचार से दूर रखने की कवायद

सरकारी नौकरियों को भ्रष्टाचार से दूर रखने के लिए राज्य सरकार ने समूह ‘ग’ और ‘घ’ भर्ती से साक्षात्कार खत्म कर दिया है। समूह ‘ख’ के अराजपत्रित पदों पर भी अब इंटरव्यू नहीं होंगे।
केंद्र सरकार ने 29 दिसंबर, 2015 को ही यह व्यवस्था चालू कर दी थी लेकिन, तत्कालीन सपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया। उधर, भाजपा ने इस विषय को अपनी प्राथमिकता में रखा। उसने चुनाव से पहले अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में नौकरियों में साक्षात्कार खत्म करने का वादा किया था। अब अगर कहीं विज्ञापन व चयन प्रक्रिया चल रही है तो वह नया आदेश लागू होने तक पुरानी व्यवस्था से ही चलती रहेगी। जहां लिखित परीक्षा और इंटरव्यू था, वह उसी तरह होगा लेकिन, नियमावली लागू होने के बाद विज्ञापित सभी पदों में नई व्यवस्था ही चलेगी। 1सरकार का यह फैसला सराहनीय है। इससे इंटरव्यू के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
परीक्षाओं में पारदर्शिता आएगी और पात्र ही नौकरी पाएंगे। सूबे के कई चयन बोर्डो पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। अभ्यर्थी लगातार कहते रहे हैं कि इंटरव्यू में पैसों का खुला खेल चलता है और मेरिट में कम अंक लाने वाले परीक्षार्थियों के नौकरी पा जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे मामलों की जांच भी चल रही है। आए दिन अभ्यर्थी चयन बोर्डो की कार्यप्रणाली के विरोध में धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। अब लगता है कि इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकेगा। अब अगर किसी विभाग में 100 पद हैं तो लिखित परीक्षा के आधार पर टॉप 100 अभ्यर्थियों को चुन लिया जाएगा। अभी तक एक पद के लिए कम से कम तीन अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया जाता था। इंटरव्यू के बाद इनमें से चुना एक को ही जाता था। जाहिर है इन परिस्थितियों में पैसों के दम पर नौकरी पाने का खेल खुलेआम चलता था। वे मेधावी बच्चे जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर होते थे, उनके लिए सरकारी नौकरी दूर की कौड़ी बन जाती थी। आशा है कि प्रदेश सरकार इस नई व्यवस्था को सख्ती से लागू करेगी ताकि योग्य का ही चयन हो सके।
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