आगरा: शिक्षामित्रों ने शुक्रवार को डायट परिसर में सत्याग्रह किया। राज्यपाल के नाम छह सूत्रीय ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी सौंपा। कई शिक्षक क्रमिक अनशन पर भी बैठे। शिक्षामित्रों के कार्य बहिष्कार से करीब 400 स्कूल नहीं खुले, जबकि कई स्कूलों में पढ़ाई भी प्रभावित हुई।
शिक्षामित्रों ने सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप भी लगाया। 1डायट परिसर में हुई सभा में शिक्षामित्रों ने कहा कि हमें सरकार का प्रस्ताव स्वीकार नहीं। अब सरकार अध्यादेश लाए और सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे। अन्यथा हमारा आंदोलन जारी रहेगा। वर्तमान में सरकार शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा करने के बजाए दमनकारी नीति अपना रही है, लेकिन शिक्षामित्र डरने वाले नहीं हैं। न्याय दो, अगर ऐसा नहीं कर पा रहे तो कुर्सी छोड़ो। वक्ताओं ने कहा कि जो नेता शिक्षामित्रों की शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने की बात कर रहे हैं, उनके लिए चुनाव आयोग भी शैक्षिक योग्यता निर्धारित करे। शिक्षामित्रों द्वारा राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में मांग की है कि सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो, उसके निर्णित होने तक शिक्षामित्रों को अपने समायोजित पद पर कार्य करने दिया जाए। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद बनाए रखने को सरकार नया अध्यादेश लाए। विकल्प के तौर पर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समकक्ष वेतनमान पर शिक्षा सहायक पद पर समायोजित किया जाए। 1शिक्षामित्र संगठन के प्रतिनिधि मंडल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से वार्ता को समय प्रदान किया जाए। आंदोलन के दौरान दम तोड़ चुके शिक्षामित्रों के अभिभावकों व आश्रितों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। इस दौरान प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर, रामप्रकाश लवानियां, शिशुपाल सिंह चाहर, नीलम, हरीश, अशोक, रामनिवास, हरीश चंद्रा, सुधीश शर्मा, रामपाल सिंह, करतार यादव समेत सैकड़ों शिक्षामित्र मौजूद रहे।
एसएन मेडिकल कॉलेज में अभद्रता के विरोध में इमरजेंसी पर विरोध प्रदर्शन करते शिक्षा मित्र। दूसरे चित्र में एसएन मेडिकल कॉलेज पर सीओ कोतवाली से बात करते शिक्षामित्र ’
जागरणजागरण संवाददाता, आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में शुक्रवार को जूनियर डॉक्टर और शिक्षामित्र भिड़ गए। गुस्साए शिक्षामित्र इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठ गए। कॉलेज प्रशासन और पुलिस फोर्स ने मामला शांत कराया। 1 शिक्षामित्र डायट पर धरना दे रहे हैं। दोपहर 3.30 बजे शिक्षामित्र रेनूबाला उपाध्याय बेहोश हो गईं। उनके साथी उन्हें इमरजेंसी ले आए। यहां जूनियर डॉक्टर ब्लड प्रेशर चेक कर रहे थे। इसी दौरान प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर मोबाइल से फोटो लेने लगे। इसे देख जूनियर डॉक्टर भड़क गए। विवाद के बाद मारपीट की नौबत आ गई। वे उन्हें श्रीराम हॉस्पिटल ले गए, इसकी जानकारी होते ही धरना स्थल से 30-40 शिक्षामित्र इमरजेंसी पहुंचे। जूनियर डॉक्टर के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, पुलिस फोर्स भी पहुंच गया। इससे जूनियर डॉक्टर और शिक्षामित्रों में टकराव के हालात बन गए। पुलिस फोर्स और कॉलेज प्रशासन के समझाने के बाद मामला शांत हो सका। प्रमुख अधीक्षक डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि इमरजेंसी में गंभीर मरीज आते हैं, उनकी प्राथमिकता मरीज की जान बचाना होती है।
ऐसे में तीमारदारों को जूनियर डॉक्टरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। कोई शिकायत है तो इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर से करें। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज में उनके साथ अभद्रता की गई, सूचना के बाद भी एम्बुलेंस महिला शिक्षामित्र को लेने डायट परिसर नहीं पहुंची।
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शिक्षामित्रों ने सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप भी लगाया। 1डायट परिसर में हुई सभा में शिक्षामित्रों ने कहा कि हमें सरकार का प्रस्ताव स्वीकार नहीं। अब सरकार अध्यादेश लाए और सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे। अन्यथा हमारा आंदोलन जारी रहेगा। वर्तमान में सरकार शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा करने के बजाए दमनकारी नीति अपना रही है, लेकिन शिक्षामित्र डरने वाले नहीं हैं। न्याय दो, अगर ऐसा नहीं कर पा रहे तो कुर्सी छोड़ो। वक्ताओं ने कहा कि जो नेता शिक्षामित्रों की शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने की बात कर रहे हैं, उनके लिए चुनाव आयोग भी शैक्षिक योग्यता निर्धारित करे। शिक्षामित्रों द्वारा राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में मांग की है कि सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो, उसके निर्णित होने तक शिक्षामित्रों को अपने समायोजित पद पर कार्य करने दिया जाए। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद बनाए रखने को सरकार नया अध्यादेश लाए। विकल्प के तौर पर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समकक्ष वेतनमान पर शिक्षा सहायक पद पर समायोजित किया जाए। 1शिक्षामित्र संगठन के प्रतिनिधि मंडल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से वार्ता को समय प्रदान किया जाए। आंदोलन के दौरान दम तोड़ चुके शिक्षामित्रों के अभिभावकों व आश्रितों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। इस दौरान प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर, रामप्रकाश लवानियां, शिशुपाल सिंह चाहर, नीलम, हरीश, अशोक, रामनिवास, हरीश चंद्रा, सुधीश शर्मा, रामपाल सिंह, करतार यादव समेत सैकड़ों शिक्षामित्र मौजूद रहे।
एसएन मेडिकल कॉलेज में अभद्रता के विरोध में इमरजेंसी पर विरोध प्रदर्शन करते शिक्षा मित्र। दूसरे चित्र में एसएन मेडिकल कॉलेज पर सीओ कोतवाली से बात करते शिक्षामित्र ’
जागरणजागरण संवाददाता, आगरा: एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में शुक्रवार को जूनियर डॉक्टर और शिक्षामित्र भिड़ गए। गुस्साए शिक्षामित्र इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठ गए। कॉलेज प्रशासन और पुलिस फोर्स ने मामला शांत कराया। 1 शिक्षामित्र डायट पर धरना दे रहे हैं। दोपहर 3.30 बजे शिक्षामित्र रेनूबाला उपाध्याय बेहोश हो गईं। उनके साथी उन्हें इमरजेंसी ले आए। यहां जूनियर डॉक्टर ब्लड प्रेशर चेक कर रहे थे। इसी दौरान प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर मोबाइल से फोटो लेने लगे। इसे देख जूनियर डॉक्टर भड़क गए। विवाद के बाद मारपीट की नौबत आ गई। वे उन्हें श्रीराम हॉस्पिटल ले गए, इसकी जानकारी होते ही धरना स्थल से 30-40 शिक्षामित्र इमरजेंसी पहुंचे। जूनियर डॉक्टर के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, पुलिस फोर्स भी पहुंच गया। इससे जूनियर डॉक्टर और शिक्षामित्रों में टकराव के हालात बन गए। पुलिस फोर्स और कॉलेज प्रशासन के समझाने के बाद मामला शांत हो सका। प्रमुख अधीक्षक डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि इमरजेंसी में गंभीर मरीज आते हैं, उनकी प्राथमिकता मरीज की जान बचाना होती है।
ऐसे में तीमारदारों को जूनियर डॉक्टरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। कोई शिकायत है तो इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर से करें। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज में उनके साथ अभद्रता की गई, सूचना के बाद भी एम्बुलेंस महिला शिक्षामित्र को लेने डायट परिसर नहीं पहुंची।
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