पिछले वर्षों में प्राइमरी स्कूलों में एकेडमिक के आधार पर मेरिट में आगे रहते हुए शिक्षक बनने वालों का
एकछत्र राज इस बार खत्म हो जाएगा।
इन स्कूलों में अब केवल मेधावियों की ही एंट्री हो सकेगी। प्रोफेशनल कोर्स, प्राइवेट यूनिवर्सिटी एवं टीचर ट्रेनिंग कोर्स में अधिक नंबरों के दम पर अब मेरिट में जगह नहीं बन सकेगी। नियुक्ति से पहले दो सौ नंबरों के टेस्ट में केवल वही छात्र सफल होंगे जिनकी विषयों पर पकड़ होगी। हाईस्कूल से बीटीसी तक नंबरों का अब पूरी तरह प्रभावी नहीं होंगे। प्रदेशभर के प्राइमरी स्कूलों में 68 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की तैयारियां चल रही हैं। दिसंबर में आवेदन प्रक्रिया होने की उम्मीद है, लेकिन विशिष्ठ बीटीसी और टीईटी के बाद बीटीसी से नियुक्ति के बाद इस बार की प्रक्रिया बिल्कुल नए तरीके से होगी। सरकार एकेडमिक के केवल 40 और टेस्ट के 60 फीसदी अंकों को जोड़कर मेरिट बना रही है। एकेडमिक में भी हाईस्कूल, इंटर, यूजी और बीटीसी के 10-10 फीसदी अंक जुड़ेंगे। इसका फायदा सीधे तौर पर उन छात्रों को होगा जो किन्हीं कारणों से इन कक्षाओं में अंक प्रतिशत में पिछड़ गए। पिछली भर्तियों में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और प्रोफेशनल कोर्स में 80-85 फीसदी नंबर वाले छात्रों के आगे ट्रेडिशनल कोर्स पिछड़ गए थे। लेकिन अब एकेडमिक मेरिट सीमित करने से छात्रों को मौका मिलेगा।
पहले और अब में ऐसे आएगा अंतर : विशिष्ठ बीटीसी में हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और बीएड के कुल अंक प्रतिशत को जोड़ते हुए मेरिट तैयार हुईं, लेकिन इस मेरिट में सीबीएसई के स्टूडेंट बाजी मार गए। 2006 एवं 2007 में सीबीएसई स्टूडेंट को इस मेरिट से सर्वाधिक लाभ मिला। बाद में राजकीय कॉलेजों में टीजीटी की मेरिट में बदलाव हुआ। इसमें हाईस्कूल के 10, इंटर के 20, स्नातक के 40 फीसदी अंक लिए गए। बीएड में थ्योरी-प्रैक्टिकल में प्रथम श्रेणी पर 12-12, द्वितीय श्रेणी पर 6-6 और तृतीय पर 3-3 नंबर दिए गए। लेकिन इस प्रक्रिया में प्राइवेट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन एवं निजी कॉलेजों से बीएड करने वाले आगे निकल गए। सरकार ने फिलहाल प्राइमरी स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया बदली है। इसमें हाईस्कूल से बीटीसी तक केवल 10-10 फीसदी अंक मिलेंगे। इससे निजी कॉलेजों या यूनिवर्सिटी से ऊंचे और अन्य यूनिवर्सिटी से कम अंक वाले छात्रों के बीच अंतर सिमटेगा। टेस्ट से 60 फीसदी लिए जाएंगे। ऐसे में जिसने भी पढ़ाई अच्छे से की है वह इस टेस्ट में अच्छा स्कोर करेगा और कुल मेरिट में आगे जाएगा। टीईटी में भी अधिकांश स्टूडेंट फिल्टर हो जाएंगे। बीएड के आधार पर जूनियर और टीजीटी में भी छात्रों को नई व्यवस्था से ही टेस्ट कराने की उम्मीद है। फिलहाल टीजीटी में शासन संबंधित विषय के 125 सवाल पूछता है जिससे छात्र का समग्र मूल्यांकन नहीं हो पाता। उत्तराखंड और दिल्ली में टीजीटी में आवेदन के लिए टीईटी अनिवार्य है जबकि यूपी में इससे छूट है। छात्र यूपी में भी टीजीटी के टेस्ट के लिए भी टीईटी अनिवार्य करने की मांग कर रहे हैं।
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एकछत्र राज इस बार खत्म हो जाएगा।
इन स्कूलों में अब केवल मेधावियों की ही एंट्री हो सकेगी। प्रोफेशनल कोर्स, प्राइवेट यूनिवर्सिटी एवं टीचर ट्रेनिंग कोर्स में अधिक नंबरों के दम पर अब मेरिट में जगह नहीं बन सकेगी। नियुक्ति से पहले दो सौ नंबरों के टेस्ट में केवल वही छात्र सफल होंगे जिनकी विषयों पर पकड़ होगी। हाईस्कूल से बीटीसी तक नंबरों का अब पूरी तरह प्रभावी नहीं होंगे। प्रदेशभर के प्राइमरी स्कूलों में 68 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की तैयारियां चल रही हैं। दिसंबर में आवेदन प्रक्रिया होने की उम्मीद है, लेकिन विशिष्ठ बीटीसी और टीईटी के बाद बीटीसी से नियुक्ति के बाद इस बार की प्रक्रिया बिल्कुल नए तरीके से होगी। सरकार एकेडमिक के केवल 40 और टेस्ट के 60 फीसदी अंकों को जोड़कर मेरिट बना रही है। एकेडमिक में भी हाईस्कूल, इंटर, यूजी और बीटीसी के 10-10 फीसदी अंक जुड़ेंगे। इसका फायदा सीधे तौर पर उन छात्रों को होगा जो किन्हीं कारणों से इन कक्षाओं में अंक प्रतिशत में पिछड़ गए। पिछली भर्तियों में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और प्रोफेशनल कोर्स में 80-85 फीसदी नंबर वाले छात्रों के आगे ट्रेडिशनल कोर्स पिछड़ गए थे। लेकिन अब एकेडमिक मेरिट सीमित करने से छात्रों को मौका मिलेगा।
पहले और अब में ऐसे आएगा अंतर : विशिष्ठ बीटीसी में हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और बीएड के कुल अंक प्रतिशत को जोड़ते हुए मेरिट तैयार हुईं, लेकिन इस मेरिट में सीबीएसई के स्टूडेंट बाजी मार गए। 2006 एवं 2007 में सीबीएसई स्टूडेंट को इस मेरिट से सर्वाधिक लाभ मिला। बाद में राजकीय कॉलेजों में टीजीटी की मेरिट में बदलाव हुआ। इसमें हाईस्कूल के 10, इंटर के 20, स्नातक के 40 फीसदी अंक लिए गए। बीएड में थ्योरी-प्रैक्टिकल में प्रथम श्रेणी पर 12-12, द्वितीय श्रेणी पर 6-6 और तृतीय पर 3-3 नंबर दिए गए। लेकिन इस प्रक्रिया में प्राइवेट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन एवं निजी कॉलेजों से बीएड करने वाले आगे निकल गए। सरकार ने फिलहाल प्राइमरी स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया बदली है। इसमें हाईस्कूल से बीटीसी तक केवल 10-10 फीसदी अंक मिलेंगे। इससे निजी कॉलेजों या यूनिवर्सिटी से ऊंचे और अन्य यूनिवर्सिटी से कम अंक वाले छात्रों के बीच अंतर सिमटेगा। टेस्ट से 60 फीसदी लिए जाएंगे। ऐसे में जिसने भी पढ़ाई अच्छे से की है वह इस टेस्ट में अच्छा स्कोर करेगा और कुल मेरिट में आगे जाएगा। टीईटी में भी अधिकांश स्टूडेंट फिल्टर हो जाएंगे। बीएड के आधार पर जूनियर और टीजीटी में भी छात्रों को नई व्यवस्था से ही टेस्ट कराने की उम्मीद है। फिलहाल टीजीटी में शासन संबंधित विषय के 125 सवाल पूछता है जिससे छात्र का समग्र मूल्यांकन नहीं हो पाता। उत्तराखंड और दिल्ली में टीजीटी में आवेदन के लिए टीईटी अनिवार्य है जबकि यूपी में इससे छूट है। छात्र यूपी में भी टीजीटी के टेस्ट के लिए भी टीईटी अनिवार्य करने की मांग कर रहे हैं।
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