राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के लिए पदोन्नति में उन्हीं शिक्षकों को मौका मिलेगा, जो टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होंगे।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा परिषद इस मसले को शासन के समक्ष रखेगा व शिक्षकों की नियमावली में बदलाव किया जाएगा। इस निर्देश से परिषदीय स्कूलों के शिक्षक गुस्से में हैं। उनका कहना है कि यह निर्देश सही नहीं है, नई नियुक्तियों में टीईटी पहले से अनिवार्य हैं, लेकिन प्रमोशन में इसे लागू करना उचित नहीं है।
बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए कुछ वर्ष पहले विज्ञान व गणित 29334 शिक्षकों की सीधी भर्ती हुई थी, लेकिन सरकार ने तय किया है अब आगे से इन स्कूलों के लिए कोई सीधी भर्ती नहीं होगी, उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति से की जाएगी। इस निर्देश पर अमल भी किया जा रहा है। परिषद ने कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पदोन्नति से पद भरने का निर्देश दिया है। इसी बीच हाईकोर्ट ने मैनपुरी जिले की याचिका पर यह निर्देश जारी किया है कि उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रधानाध्यापक पद पर उन्हीं शिक्षकों को तैनाती दी जाए, जो शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसके बाद से प्रमोशन में तगड़ा पेंच फंस गया है। अब परिषद इस आदेश को शासन के समक्ष रखेगा और उसके बाद निर्देश जारी होंगे। माना जा रहा है कि इसके लिए शिक्षकों की नियमावली में बदलाव भी हो सकता है। नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है।
कोर्ट में आदेश को चुनौती देंगे : प्राथमिक शिक्षक संघ हाईकोर्ट के इस आदेश से खफा है। इलाहाबाद के जिलाध्यक्ष देवेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि यह निर्देश तार्किक नहीं है। नई भर्तियों में टीईटी पहले से अनिवार्य है, लेकिन प्रमोशन में यह अनिवार्यता जायज नहीं है। वरिष्ठ शिक्षक आखिर यह परीक्षा कैसे उत्तीर्ण करेंगे। प्रमोशन में नए शिक्षकों को इस पद पर जाने का मौका मिलेगा, जो कहीं से उचित नहीं है। इस मामले को जल्द ही कोर्ट में ही चुनौती देंगे।
यह है मामला
प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापकों की जूनियर विद्यालयों में पदोन्नति पर हाईकोर्ट ने एनसीटीई व राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से गैर टीईटी उत्तीर्ण सहायक अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नति देने को चुनौती दी गई थी। मैनपुरी के अखिलेश की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने सुनवाई की। इसी के बाद यह निर्देश जारी हुआ। तर्क दिया गया था कि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना में प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल दोनों में नियुक्ति के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य अर्हता है।
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हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा परिषद इस मसले को शासन के समक्ष रखेगा व शिक्षकों की नियमावली में बदलाव किया जाएगा। इस निर्देश से परिषदीय स्कूलों के शिक्षक गुस्से में हैं। उनका कहना है कि यह निर्देश सही नहीं है, नई नियुक्तियों में टीईटी पहले से अनिवार्य हैं, लेकिन प्रमोशन में इसे लागू करना उचित नहीं है।
बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए कुछ वर्ष पहले विज्ञान व गणित 29334 शिक्षकों की सीधी भर्ती हुई थी, लेकिन सरकार ने तय किया है अब आगे से इन स्कूलों के लिए कोई सीधी भर्ती नहीं होगी, उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति से की जाएगी। इस निर्देश पर अमल भी किया जा रहा है। परिषद ने कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पदोन्नति से पद भरने का निर्देश दिया है। इसी बीच हाईकोर्ट ने मैनपुरी जिले की याचिका पर यह निर्देश जारी किया है कि उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रधानाध्यापक पद पर उन्हीं शिक्षकों को तैनाती दी जाए, जो शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसके बाद से प्रमोशन में तगड़ा पेंच फंस गया है। अब परिषद इस आदेश को शासन के समक्ष रखेगा और उसके बाद निर्देश जारी होंगे। माना जा रहा है कि इसके लिए शिक्षकों की नियमावली में बदलाव भी हो सकता है। नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है।
कोर्ट में आदेश को चुनौती देंगे : प्राथमिक शिक्षक संघ हाईकोर्ट के इस आदेश से खफा है। इलाहाबाद के जिलाध्यक्ष देवेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि यह निर्देश तार्किक नहीं है। नई भर्तियों में टीईटी पहले से अनिवार्य है, लेकिन प्रमोशन में यह अनिवार्यता जायज नहीं है। वरिष्ठ शिक्षक आखिर यह परीक्षा कैसे उत्तीर्ण करेंगे। प्रमोशन में नए शिक्षकों को इस पद पर जाने का मौका मिलेगा, जो कहीं से उचित नहीं है। इस मामले को जल्द ही कोर्ट में ही चुनौती देंगे।
यह है मामला
प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापकों की जूनियर विद्यालयों में पदोन्नति पर हाईकोर्ट ने एनसीटीई व राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से गैर टीईटी उत्तीर्ण सहायक अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नति देने को चुनौती दी गई थी। मैनपुरी के अखिलेश की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने सुनवाई की। इसी के बाद यह निर्देश जारी हुआ। तर्क दिया गया था कि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना में प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल दोनों में नियुक्ति के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य अर्हता है।
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