इलाहाबादः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों को एक और
बड़ा झटका दिया है, जहां बीते दिनों प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में नियुक्ति
देने की मांग की थी। उसी कड़ी में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी उन
शिक्षामित्रों की उम्मीदों को झटका दिया है।
अब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद ये कोर्ट की शरण में पहुंचे और प्रशिक्षु सहायक अध्यापक बनने के लिए याचिका दायर की। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी ये याचिका सीधे खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब जो भी नियुक्ति होगी वो भर्ती प्रक्रिया में नियमत होगी।
दरअसल पूर्व की सपा सरकार ने जब 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती निकली तो उसमें बड़ी संख्या में शिक्षामित्र भी शामिल हुए। ये ऐसे शिक्षामित्र थे जिन्होंने टीईटी पास की थी। लेकिन जब भर्ती शुरू हुई तो उसी समय शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन होने लगा। इस दौरान शिक्षामित्रों ने सीधे भर्ती से सहायक अध्यापक बनना ठीक समझा और 72,825 सहायक अध्यापक में चयनित होने के बावजूद भर्ती से कन्नी काट गए। इससे 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में 6,160 पद रिक्त रह गए। लेकिन बीजेपी सरकार आने पर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया।
इस मामले की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में अरविंद कुमार आदि ने दाखिल की थी और इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने की थी। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार से कहा है कि वो चाहे तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अपना निर्णय ले सकती है लेकिन 72,825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों के मामले में जो पद रिक्त रह गए हैं उन पदों पर नया विज्ञापन जारी किया जाए और नियमत भर्ती प्रक्रिया को संचालित कर नियुक्ति दी जाए।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
अब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद ये कोर्ट की शरण में पहुंचे और प्रशिक्षु सहायक अध्यापक बनने के लिए याचिका दायर की। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी ये याचिका सीधे खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब जो भी नियुक्ति होगी वो भर्ती प्रक्रिया में नियमत होगी।
दरअसल पूर्व की सपा सरकार ने जब 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती निकली तो उसमें बड़ी संख्या में शिक्षामित्र भी शामिल हुए। ये ऐसे शिक्षामित्र थे जिन्होंने टीईटी पास की थी। लेकिन जब भर्ती शुरू हुई तो उसी समय शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन होने लगा। इस दौरान शिक्षामित्रों ने सीधे भर्ती से सहायक अध्यापक बनना ठीक समझा और 72,825 सहायक अध्यापक में चयनित होने के बावजूद भर्ती से कन्नी काट गए। इससे 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में 6,160 पद रिक्त रह गए। लेकिन बीजेपी सरकार आने पर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया।
इस मामले की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में अरविंद कुमार आदि ने दाखिल की थी और इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने की थी। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार से कहा है कि वो चाहे तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अपना निर्णय ले सकती है लेकिन 72,825 प्रशिक्षु सहायक अध्यापकों के मामले में जो पद रिक्त रह गए हैं उन पदों पर नया विज्ञापन जारी किया जाए और नियमत भर्ती प्रक्रिया को संचालित कर नियुक्ति दी जाए।
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