इलाहाबाद : प्रदेश के राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं। इलाहाबाद मंडल की संयुक्त शिक्षा निदेशक ने आरोपी लिपिकों पर सख्त रुख अपनाया है, वहीं यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में मूल रिकॉर्ड बदलने वाले लिपिकों पर जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है।
जांच टीम ने कार्यालय के पांच लिपिकों पर हेराफेरी में शामिल होने का संदेह जताया है लेकिन, कार्रवाई की पत्रवली अब तक लंबित है। यही नहीं लाभ लेने वाले शिक्षक दंडित हो चुके हैं लेकिन, जिनके जरिए लाभ मिला वह अब तक कुर्सियों पर जमे हैं।
राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2010, 2012 की फाइल गुम होने का मामला जल्द सामने आया है। इसके पहले वर्ष 2014 की 6645 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में मूल रिकॉर्ड बदलने के मामले में पांच लिपिक कार्रवाई के दायरे में हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी जांच के बाद रिपोर्ट सौंप चुकी है लेकिन, अब तक कार्रवाई नहीं हुई, जबकि इलाहाबाद मंडल के सात शिक्षकों को बर्खास्त किया गया और एफआइआर दर्ज है। असल में 2014 की भर्ती के दौरान प्रमाणपत्रों के सत्यापन में खेल हुआ। चयनित शिक्षकों ने जिन विद्यालयों से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, उन विद्यालयों से सेटिंग कर प्रमाणपत्रों में अंक बढ़वा लिए। इन्हीं शिक्षकों ने क्षेत्रीय कार्यालय के लिपिकों से सेटिंग करके मूल रिकार्ड रजिस्टर भी बदलवा दिया। इसी टीआर से शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन होता है। इसका पर्दाफाश तब हुआ जब किसी अन्य मामले में प्रमाणपत्र का सत्यापन हुआ। टीआर की जांच में हेराफेरी का पता चला। पिछले वर्ष अक्टूबर, 2016 में तत्कालीन सचिव शैल यादव ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। तत्कालीन जेडी महेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी में बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव विनोद कृष्ण एवं बोर्ड के उप सचिव शैलेंद्र सिंह शामिल थे। जांच के बाद कमेटी ने रिपोर्ट सचिव को सौंपी, जिसमें टीआर में बदलाव करने के मामले में पांच लिपिकों घेरे में आए। तत्कालीन बोर्ड सचिव ने यह रिपोर्ट वरिष्ठ अफसरों को भेज दी, लेकिन अब तक लिपिकों पर कार्रवाई का आदेश नहीं हुआ है।’
>>जांच टीम का यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के लिपिकों पर संदेह
’>>सात शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका, एफआइआर भी दर्ज
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जांच टीम ने कार्यालय के पांच लिपिकों पर हेराफेरी में शामिल होने का संदेह जताया है लेकिन, कार्रवाई की पत्रवली अब तक लंबित है। यही नहीं लाभ लेने वाले शिक्षक दंडित हो चुके हैं लेकिन, जिनके जरिए लाभ मिला वह अब तक कुर्सियों पर जमे हैं।
राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2010, 2012 की फाइल गुम होने का मामला जल्द सामने आया है। इसके पहले वर्ष 2014 की 6645 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में मूल रिकॉर्ड बदलने के मामले में पांच लिपिक कार्रवाई के दायरे में हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी जांच के बाद रिपोर्ट सौंप चुकी है लेकिन, अब तक कार्रवाई नहीं हुई, जबकि इलाहाबाद मंडल के सात शिक्षकों को बर्खास्त किया गया और एफआइआर दर्ज है। असल में 2014 की भर्ती के दौरान प्रमाणपत्रों के सत्यापन में खेल हुआ। चयनित शिक्षकों ने जिन विद्यालयों से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, उन विद्यालयों से सेटिंग कर प्रमाणपत्रों में अंक बढ़वा लिए। इन्हीं शिक्षकों ने क्षेत्रीय कार्यालय के लिपिकों से सेटिंग करके मूल रिकार्ड रजिस्टर भी बदलवा दिया। इसी टीआर से शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन होता है। इसका पर्दाफाश तब हुआ जब किसी अन्य मामले में प्रमाणपत्र का सत्यापन हुआ। टीआर की जांच में हेराफेरी का पता चला। पिछले वर्ष अक्टूबर, 2016 में तत्कालीन सचिव शैल यादव ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। तत्कालीन जेडी महेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी में बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव विनोद कृष्ण एवं बोर्ड के उप सचिव शैलेंद्र सिंह शामिल थे। जांच के बाद कमेटी ने रिपोर्ट सचिव को सौंपी, जिसमें टीआर में बदलाव करने के मामले में पांच लिपिकों घेरे में आए। तत्कालीन बोर्ड सचिव ने यह रिपोर्ट वरिष्ठ अफसरों को भेज दी, लेकिन अब तक लिपिकों पर कार्रवाई का आदेश नहीं हुआ है।’
>>जांच टीम का यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के लिपिकों पर संदेह
’>>सात शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका, एफआइआर भी दर्ज
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