नई दिल्ली, प्रेट्र: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान दिव्यांगों के अनुकूल बनाए जाएं। अदालत ने कहा कि वह इस मसले पर जल्द आदेश जारी करेगा, जिसकी अनुपालना के लिए एक समय सीमा तय की जाएगी।
जस्टिस एके सीकरी व अशोक भूषण की बेंच ने दिव्यांगों के एक संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। 2006 में दायर याचिका में एक दिव्यांग युवती की स्थिति को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि इस दिशा में कोई फैसला हो। याचिका में कहा गया था कि युवती नेशनल ला यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेना चाहती थी, लेकिन उसे निजी संस्थान में दाखिल होना पड़ा। छात्रवास में उसके साथ दो अन्य सामान्य छात्रएं थीं। शौचालय में रैम्प भी नहीं था, जिससे उसे भारी परेशानी होती थी। दिव्यांगता एक्ट 1995 में दिव्यांग छात्रों के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिनकी पालना नहीं की जा रही है। 1 बेंच ने कहा कि एक्ट के तहत दिव्यांग छात्रों को तीस फीसद आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन संस्था के वकील ने कहा कि कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं किया गया है जिससे पता लग सके कि आरक्षण दिया जा रहा है या नहीं। इस पर बेंच ने कहा कि मामले पर गंभीरता से विचार करके वह जरूरी दिशानिर्देश जारी करेंगे जिससे दिव्यांग छात्रों को भविष्य में परेशानी न हो।
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जस्टिस एके सीकरी व अशोक भूषण की बेंच ने दिव्यांगों के एक संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। 2006 में दायर याचिका में एक दिव्यांग युवती की स्थिति को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि इस दिशा में कोई फैसला हो। याचिका में कहा गया था कि युवती नेशनल ला यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेना चाहती थी, लेकिन उसे निजी संस्थान में दाखिल होना पड़ा। छात्रवास में उसके साथ दो अन्य सामान्य छात्रएं थीं। शौचालय में रैम्प भी नहीं था, जिससे उसे भारी परेशानी होती थी। दिव्यांगता एक्ट 1995 में दिव्यांग छात्रों के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिनकी पालना नहीं की जा रही है। 1 बेंच ने कहा कि एक्ट के तहत दिव्यांग छात्रों को तीस फीसद आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन संस्था के वकील ने कहा कि कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं किया गया है जिससे पता लग सके कि आरक्षण दिया जा रहा है या नहीं। इस पर बेंच ने कहा कि मामले पर गंभीरता से विचार करके वह जरूरी दिशानिर्देश जारी करेंगे जिससे दिव्यांग छात्रों को भविष्य में परेशानी न हो।
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