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सहायक अध्यापकों को ट्रेनिंग से छूट के सवाल पर प्रमुख सचिव जवाब तलब

इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और पीलीभीत जिले के बीएसए से हलफनामा मांगा है। इसमें पूछा गया है कि अनिवार्य शिक्षा कानून में हुए संशोधन के तहत 31 मार्च 2015 को कार्यरत प्राइमरी स्कूल के सहायक अध्यापकों को 4 वर्ष में प्रशिक्षण प्राप्त करने की छूट का लाभ मिलेगा कि नहीं।


कोर्ट ने इन दोनों अफसरों से दो फरवरी तक हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि इस छूट का लाभ शिक्षामित्र से बने सहायक अध्यापक बने टीचर्स को मिलेगा अथवा नहीं। अदालत ने बीएसए पीलीभीत को कहा है कि वह याची को 20 सितम्बर 2017 के शासनादेश के तहत 10 हजार प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति का आदेश पारित करें।



यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी ने शिक्षामित्र खडक सिंह की याचिका पर दिया है। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के आदेश के खिलाफ फैसले के बाद केन्द्र सरकार ने कानून में संशोधन किया। इसके तहत अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 23 (2) में संशोधन कर यह व्यवस्था दी कि 31 मार्च 2015 को गैर प्रशिक्षित अध्यापकों को 4 साल में ट्रेनिंग प्राप्त करने की छूट होगी।

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याची का कहना है कि वह 2 अगस्त 14 को शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बना और 26 जून 2015 को नियुक्ति रद्द हुई। 31 मार्च 15 को वह सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत था। इसलिए उसे 4 साल तक काम करने का अधिकार है।
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