इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और पीलीभीत
के बीएसए से दो फरवरी तक व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि
अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 में हुए संशोधन के तहत 31
मार्च, 2015 को कार्यरत प्राइमरी स्कूल के सहायक
अध्यापकों को चार साल में प्रशिक्षण प्राप्त करने की छूट का लाभ
शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बने अध्यापकों को मिलेगा या नहीं? कोर्ट ने
बीएसए पीलीभीत को भी कहा है कि याची को 20 सितंबर, 2017 के शासनादेश के तहत
10 हजार प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्ति का आदेश पारित करें। याचिका की
सुनवाई दो फरवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने शिक्षामित्र खड़क सिंह की याचिका पर
दिया है। याची का कहना है कि शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के आदेश
के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने संशोधन कानून पास
किया। इसमें अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 23 (2) में संशोधन कर यह
व्यवस्था दी कि 31 मार्च, 2015 को गैर प्रशिक्षित अध्यापकों को चार साल में
प्रशिक्षण प्राप्त करने की छूट दी गई है। 1याची का कहना है कि वह दो
अगस्त, 2014 को शिक्षामित्र से प्राइमरी स्कूल हैदराबाद ब्लाक अमरिया,
पीलीभीत में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ और 26 जून, 2015 को नियुक्ति रद
हुई। 31 मार्च, 2015 को याची सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत था। इसलिए उसे
चार साल यानी 25 अगस्त, 2021 तक काम करने का अधिकार है। जब तक याचिका पर
निर्णय नहीं हो जाता तब तक याची को प्राइमरी स्कूल कला मंदिर पीलीभीत में
10 हजार मानदेय पर शिक्षामित्र के रूप में कार्य करने दिया जाए। याची का यह
भी कहना है कि अन्य जिलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई है लेकिन,
उसकी नहीं की गई।
कोर्ट ने कहा है कि याची को 20 सितंबर, 2017 के शासनादेश के तहत लाभ पाने
का अधिकार है। इसमें 10 हजार रुपये मानदेय पर शिक्षामित्रों की नियुक्ति का
आदेश दिया गया है। संशोधित कानून 10 अगस्त, 2017 को लागू कर दिया गया है।
जिसके तहत 31 मार्च, 2015 में कार्यरत सहायक अध्यापकों को योग्यता हासिल
करने के लिए चार साल का समय दिया गया है।
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